CBSE Apathit Kavyansh
CBSE Apathit Kavyansh-? वह काव्य का अंश जो पहले न पढ़ा गया हो। जिसे छात्र सीधे परीक्षा में पहली बार पढ़ता है। छात्र काव्य को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर काव्य के अनुसार देता है।
Class 10 Hindi CBSE Unseen Passages अपठित काव्यांश
अपठित काव्यांश
विद्यार्थी अपठित गद्यांश की भांति अपठित काव्यांश का भी हिंदी विषय के लिए परीक्षा कक्ष में पहलीबार प्रश्न-पत्र का सामना करता है। जिसे उसने पहले कभी नहीं पढ़ा होता है। क्योंकि यह भी पाठ्यपुस्तक से नहीं आता है। इसे भी वह पढ़कर समझता है और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर देता है।
प्रश्न-1.अपठित काव्यांश किसे कहते हैं?
उत्तर- कविता का वह अंश (पार्ट) जो पूर्व (पहले) में न पढ़ा गया हो, उसे अपठित कव्यांश कहते हैं।
प्रश्न-2. अपठित काव्यांश का अर्थ बताइए।
उत्तर- यह दो शब्दों से मिलकर बना है- अपठित+काव्यांश।
1-अपठित का अर्थ है-जो पढ़ा न गया हो।
2-काव्यांश का अर्थ है-काव्य का अंश (भाग)
अर्थात् कविता का अंश/भाग/टुकड़ा ही काव्यांश कहलाता है।
प्रश्न-3. अपठित काव्यांश कहाँ से लिए जाते हैं?
उत्तर- अपठित काव्यांश Syllabus की पाठ्यपुस्तक से नहीं लिए जाते हैं। ये Syllabus के बाहर की पुस्तकों की कविताओं से लिए जाते हैं।
CBSE Apathit Kavyansh
प्रश्न-4. अपठित काव्यांश का उद्देश्य या महत्व बताइए।
उत्तर- अपठित काव्यांश का उद्देश्य इस प्रकार है-
1- कविता के प्रति रूचि उत्पन्न करना।
2- कविता के अर्थ को ग्रहण करना।
3- काव्य के भाव को समझना।
4- अपठित काव्यांश से वाचन और पठन (पढ़ना) कौशलों का विकास करना।
5- बौद्धिक चिंतन में वृद्धि करना।
6- अभिव्यक्ति का विकास करना।
7- कविता के काव्य सौंदर्य को समझना। (जैसे- रस, छंद और अलंकार)
8- कविता के गति, यति, तुक, लय आदि को समझना।
प्रश्न-5. अपठित काव्यांशों के उत्तर लिखते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक हैं ?
उत्तर- अपठित काव्यांशों के उत्तर लिखते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए-
1- काव्यांश को दो से तीन बार पूरे मनोयोग से पढ़ना चाहिए।
2- काव्यांश को पढ़कर उसका सही से अर्थ समझ लेना चाहिए।
3- काव्यांश के मूल भाव को ठीक प्रकार से जान लेना चाहिए।
4- प्रश्न को ठीक से पढ़ना चाहिए।
5- विकल्पों को ध्यान से पढ़ लेना चाहिए।
6- काव्यांश के आधार पर सही विकल्प का चुनाव करना चाहिए।
CBSE Apathit Kavyansh
चलो अब इसे एक उदाहरण देख लेते हैं-
अपठित काव्यांश
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर उनसे संबंधित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
“विचार लो कि मर्त्य हो न मृत्यु से डरो कभी
मरो परंतु यों मरो कि याद जो करे सभी
हुई न यों सु-मृत्यु तो वृथा मरे, वृथा जिए
मरा नहीं वही कि जो जिया न आपके लिए।
यही पशु- प्रवृति है कि आप-आप ही चरे
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।
उसी उदार की कथा सरस्वती बखानती
उसी उदार से धरा कृतार्थ भाव मानती।
उसी उदार की सदा सजीव कीर्ति कूजती
तथा उसी उदार को समस्त सृष्टि पूजती।
अखंड आत्म भाव जो असीम विश्व में भरे
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।”
प्रश्न-1.पशु-प्रवृति क्या है?
(i) केवल अपना स्वार्थ साधना।
(ii) सबकी भलाई करना।
(iii) पशुओं की भांति भूसा खाना।
(iv) जंगल में निवास करना।
प्रश्न-2. किसके लिए मृत्यु से न डरने की बात कही गई है?
(i) पशुओं के लिए।
(ii) देवताओं के लिए।
(iii) मनुष्य के लिए।
(iv) राक्षसों के लिए।
प्रश्न-3. सरस्वती किसकी कथा बखानती है?
(i) जो मनुष्य दूसरों के लिए अपने प्राण दे दे।
(ii) जो मनुष्य स्वयं के लिए अपने प्राण दे दे।
(iii) ताकतवर मनुष्य की।
(iv) धनवान मनुष्य की।
प्रश्न-4. वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे। (रचना के आधार पर वाक्य का भेद बताइए)
(i) सरल वाक्य
(ii) मिश्र वाक्य
(iii) संयुक्त वाक्य
(iv) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न-5. ‘सु-मृत्यु’ की प्रमुख विशेषता क्या है?
(i) मरने के बाद कोई याद नहीं करता है।
(ii) जिसकी गंभीर बीमारी से मृत्यु हो।
(iii) जिसकी युद्धभूमि में मृत्यु हो।
(iv) मरने के बाद भी लोग याद करते हैं।
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