alankar
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🌸 अलंकार की परिभाषा
परिभाषा:- जब किसी वाक्य या पद में शब्दों की सुंदरता या भावों की शोभा बढ़ाने के लिए विशेष प्रकार की रचना या कल्पना की जाती है, तो उसे अलंकार कहते हैं।
👉 सरल शब्दों में – अलंकार कविता या भाषा का श्रृंगार है जो उसे मनोहर, प्रभावशाली और मधुर बनाता है।
📘 उदाहरण-
“चंदा चमके चंपा चखे।”
यहाँ ‘च’ ध्वनि की पुनरावृत्ति से मधुरता आई है, अतः यह अनुप्रास अलंकार है।
🌼 अलंकार के मुख्य दो भेद
अलंकार दो प्रकार के माने गए हैं 👇
1️⃣ शब्दालंकार (शब्द-सौंदर्य बढ़ाने वाले)
जहाँ शब्दों की रचना, पुनरावृत्ति या ध्वनि से सौंदर्य उत्पन्न हो।
मुख्य शब्दालंकार:
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अनुप्रास अलंकार – एक ही वर्ण की पुनरावृत्ति।
🔹 उदाहरण: “छोटे-छोटे दीप जले।” -
यमक अलंकार – एक शब्द की पुनरावृत्ति, पर अर्थ भिन्न।
🔹 उदाहरण: “राम राम जपु, राम बिना सुख नाहीं।” -
श्लेष अलंकार – एक ही शब्द से दो अर्थ निकलें।
🔹 उदाहरण: “बालि मरे बाली नहीं, सीता हरी न हरि।”
2️⃣ अर्थालंकार (भाव-सौंदर्य बढ़ाने वाले)
जहाँ शब्द नहीं, बल्कि भाव, विचार या कल्पना से सौंदर्य उत्पन्न हो।
मुख्य अर्थालंकार:
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उपमा अलंकार – किसी वस्तु की दूसरे से समानता दिखाना।
🔹 उदाहरण: “वह चाँद-सा मुखड़ा।” -
रूपक अलंकार – उपमेय और उपमान को एक मानना।
🔹 उदाहरण: “वह चाँद है।” -
उत्प्रेक्षा अलंकार – कल्पना के रूप में संभावना व्यक्त करना।
🔹 उदाहरण: “जैसे सूर्य हँस रहा हो।” -
अतिशयोक्ति अलंकार – बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहना।
🔹 उदाहरण: “वह तो आँसूओं की नदी बहा देता है।” - मानवीकरण अलंकार- जब निर्जीव वस्तुओं, पशु-पक्षियों, या प्राकृतिक शक्तियों को मनुष्य के समान गुण, भाव या क्रिया प्रदान की जाती है, तो वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है।
उदाहरण- “फूल हँसे कलियाँ मुस्काईं”।
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