बिहारी के दोहे पाठ का सार

बिहारी के दोहे पाठ का सार?

CBSE Board/NCERT/Class-10/Hindi-B/Sparsh-2


पाठ-बिहारी के दोहे   

(पाठ का सार Summary)

पहला पद

सोहत ओढै……………..परयौ गात।

  इस दोहे में एक सखी से दूसरी सखी कहती है कि श्रीकृष्ण सुन्दर साँवले शरीर पर पीले रंग के कपड़े पहने हुए हैं। इस वेश में वे ऐसे लगते हैं जैसे नीलमणि पर्वत पर सुबह-सुबह सूरज की पीली धूप पड़ती है तो पूरा वातावरण चमक उठता है।


दूसरा पद

कहलाने एकत……………….निदाघ।

दूसरे पद में बिहारी जी कहते हैं कि ग्रीष्म की ऋतु में बहुत अधिक गरमी के कारण पूरी धरती तपोवन बन गई है। इसलिए गरमी के कारण सांप, मोर, हिरन और शेर आपस में शत्रुता को भुलाकर एक साथ रह रहे हैं


तीसरा पद

बतरस-लालच…………..नटि जाइ।

तीसरे पद में नायिका श्रीकृष्ण से बात करने के लालच में उसकी मुरली छिपा देती है। कृष्ण के पूछने पर वह मना करती है, लेकिन भौंह ही भौंह में हँसती है। कृष्ण के मुरली माँगने पर वह न होने की बात कहती है।


चौथा पद

कहत,नटत………………..सब बात।

  चौथे पद में कवि कहते हैं कि भवन लोगों से भरा हुआ है। ऐसे में नायक आँखों से नायिका को चलने के लिए इशारा करता है। वह माना कर देती है। उसका मना करने का तरीका नायक को अच्छा लगता है। तो नायिका बनावटी गुस्सा दिखाती है। जब दोनों की आँखें मिलती हैं, तब नायिका लजा जाती है। इस प्रकार दोनों आँखों ही आँखों में बात कर लेते हैं।  


पाँचवा पद

बैठि रही……………….चाहित छाँह।

   पाँचवे पद में कवि कहता है कि जेठ माह में भयंकर गरमी है। ऐसे में लगता है छाया घने जंगल में जाकर बैठ गई है। गरमी से बचने के लिए वह लोगों के घरों में छिपकर बैठ गई है। मानो ऐसा लगता है जैसे दोपहर की गरमी को देखकर छाया भी छाँह चाहती है।


छठवाँ पद

कागद पर………………….की बात।

इस पद में बिहारी जी कहते हैं कि नायिका नायक को संदेश लिखती हुई कहती है, कागज पर लिखते नहीं बन रहा है और प्रेम की बातें कहते हुए लाज आती है। तुम अपने हृदय से ही पूछ लो वही मेरे हृदय की बातें बता सकता है।


सातवाँ पद

प्रगट भए………………..केसवराइ।

  इस दोहे में बिहारी जी कहते हैं कि आप चन्द्रवंश में पैदा हुए। अपनी इच्छा से ब्रज में बसे। आप मेरे पिता केशवराय के समान हैं। आप मेरी पीड़ा दूर करें।


आठवां पद

जपमाला…………………..राँचै रामु।

आठवें पद में कवि कहते हैं कि माला जपने से, रामनाम छपे वस्त्र पहनने से, माथे पर तिलक लगाने से एक भी काम पूरा नहीं होता है। अधूरे मन से लोग बेकार के कामों में लगे रहते हैं। लेकिन राम तो सच्चे मन वाले पर ही प्रसन्न होते हैं।


बिहारी के दोहे प्रश्न-उत्तर-

समाप्त!

डॉ.अजीत भारती (www.hindibharti.in)

By hindi Bharti

Dr.Ajeet Bhartee M.A.hindi M.phile (hindi) P.hd.(hindi) CTET

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