Ras Aur Bhed
Ras Aur Bhed? आज आप रस की परिभाषा, रस के अंग , प्रकार , उदाहरण और परीक्षा से संबंधित MCQs का अध्ययन करेंगे ।
रस की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण
रस को काव्य की आत्मा माना जाता है। रसहीन काव्य निर्जीव है, अत: रस के बिना काव्य का अस्तित्व नहीं है।
साहित्य में रस का अर्थ होता है-आनंद।
प्रश्न- रस की परिभाषा लिखिए ।
उत्तर-रस की परिभाषा- काव्य को पढ़ते या सुनते समय हमें जिस आनंद की अनुभूति होती है, उसे ही रस कहते हैं।
प्रश्न- रस की कितने अंग(अवयव ) हैं ?
उत्तर-रस के चार अंग होते हैं-
1-स्थाईभाव
2-विभाव
3-अनुभाव
4-संचारीभाव
1- स्थाई भाव-
जो भाव हृदय में सदैव स्थाई रूप से विद्यमान (उपस्थित) रहते हैं किन्तु अनुकूल कारण पाकर उद्बुध होते हैं, उसे स्थाई भाव कहा जाता है।
इनकी कुल संख्या दस है।
रस स्थाई भाव
1-शृंगार रस – रति
2-करुण रस – शोक
3-वीर रस – उत्साह
4-हास्य रस – हास
5-रौद्र रस -क्रोध
6-शांत रस- निर्वेद
7-अद्भुत रस – विस्मय (आश्चर्य)
8-वीभत्स रस – जुगुप्सा (घृणा)
9-भयानक रस – भय
इनके अतिरिक्त दो रसों की चर्चा और चर्चा होती है-
10-वात्सल्य रस – संतान विषयक रति (वत्सल्य)
11- भक्ति रस – भगवद् विषयक रति
2-विभाव
प्रश्न-विभाव किसे कहते हैं?
उत्तर-जिन कारणों से भाव की उतपत्ति होती है, उन्हें विभाव कहते हैं।
प्रश्न-विभाव के कितने प्रकार हैं ?
उत्तर- विभाव के दो प्रकार हैं-
1-आलंबन विभाव
2-उद्दीपन विभाव
प्रश्न-आलंबन विभाव किसे कहते हैं ?
उत्तर-जिनके कारण या जिन्हें देखकर रस उत्पन्न होता।
जैसे- सीता को देखकर राम के हृदय में शृंगार रस उत्पन्न हुआ। यहाँ आलंबन सीता है।
प्रश्न-उद्दीपन विभाव किसे कहते हैं ?
उत्तर-वे विभाव जो स्थाई भावों को उद्दीपित करते हैं। विशेषकर प्राकृतिक वातावरण अधिक प्रभावी होते हैं, जैसे- नदी, तालाब, उपवन, का सुंदर किनारा, वर्षा ऋतु, अँधेरी रात, सुनसान जंगल इत्यादि।
प्रश्न-आलंबन के कितने प्रकार हैं?
उत्तर- आलंबन के दो प्रकार हैं-
1-आश्रय- वह जिसके हृदय में भाव उत्पन्न हो।
2-विषय- वह जिसे देखकर भाव उत्पन्न हो।
उदाहरण-वाटिका में सीताजी को देखकर राम के हृदय में शृंगार रस उत्पन्न होता है और वे रोमांचित हो उठे।
- यहाँ सीताजी आलंबन और विषय हैं।
- राम आश्रय हैं ।
3- अनुभाव
अनुभाव की परिभाषा-भाव का बोध करने वाले कारण अनुभाव कहलाते हैं।
प्रश्न-अनुभाव के कितने भेद होते हैं?
उत्तर-अनुभाव के चार प्रकार होते हैं-
1-वाचिक
2-कायिक
3-सात्विक
4- आहार्य
अश्रु, स्वेद, रोमांच आदि अनुभाव हैं।
4-संचारी भाव
संचारी भाव की परिभाषा- स्थाई भाव को पुष्ट करने वाले संचारी भाव कहलाते हैं। ये सभी रसों में संचरण करते हैं।
आचार्य भरत मुनि संचारी भावों की कुल संख्या 33 मानी है।
1-निर्वेद 2-ग्लानि 3-शंका 4-असूया 5-मद 6-श्रम 7-आलस्य 8-दैन्य 9-चिंता 10-मोह 11-स्मृति 12-घृति 13-ब्रीडा 14-चपलता 15-हर्ष 16-आवेग 17-जड़ता 18-गर्व 19-विषाद 20-औत्सुक्य 21-निद्रा 22- अपस्मार 23-स्वप्न 24- विबोध 25-अमर्ष 26-अविहित्था 27-उग्रता 28-मति 29-व्याधि 30-उन्माद 31-मरण 32-वितर्क 33-छल
1-शृंगार रस
प्रश्न-शृंगार रस किसे कहते हैं ?
उत्तर-जहाँ पर नायक-नायिका के प्रेम प्रसंग का वर्णन होता है, वहाँ शृंगार रस होता है ।
प्रश्न-शृंगार रस के कितने प्रकार हैं?
उत्तर- शृंगार रस के दो प्रकार हैं-
1-संयोग शृंगार रस
2-वियोग शृंगार रस
प्रश्न-संयोग शृंगार रस की परिभाषा देते हुए उदाहरण लिखिए।
उत्तर- संयोग शृंगार रस की परिभाषा- जहाँ नायक-नायिका के मिलने के प्रसंग का वर्णन होता है, वहाँ संयोग शृंगार रस होता है।
जैसे- “कहत नटत, रीझत, मिलत, खिलत लजियात,
भरे भुवन में करत है, नैनन ही सो बात ।।”
प्रश्न- वियोग शृंगार रस की परिभाषा देते हुए उदाहरण लिखिए।
उत्तर- वियोग शृंगार रस की परिभाषा- जहाँ नायक-नायिका की वियोगावस्था का वर्णन होता है, वहाँ वियोग शृंगार रस होता है।
जैसे-देखहु तात बसंत।
प्रिय हीन मोहि उर उपजावा।।
प्रश्न-रसों का राजा किसे कहा जाता है ?
उत्तर-शृंगार रस को |
2-करुण रस
प्रश्न- करुण रस की परिभाषा देते हुए उदाहरण लिखिए।
उत्तर- करुण रस की परिभाषा- जहाँ पर किसी प्रिय व्यक्ति के हानि या विनाश की आशंका से हृदय में क्षोभ होता है, वहाँ करुण रस होता है।
अथवा
‘शोक’ नमक स्थाई भाव ही ‘करुण रस’ में परिणत हो जाता है।
जैसे- “सखि वे मुझसे कहकर जाते सिद्धि हेतु,
स्वामी गए यह गौरव की बात,
चोरी – चोरी चले गए यह है बड़ा आघात।।
Ras Aur Bhed?/ रस के उदाहरण /ras
3-वीर रस
प्रश्न-वीर रस की परिभाषा देते हुए उदाहरण लिखिए।
उत्तर- वीर रस की परिभाषा- जहाँ पर हृदय में ओज, उमंग, उत्साह, का भाव उत्पन्न करने वाले प्रसंगों का वर्णन होता है, वहाँ वीर रस होता है।
अथवा
‘उत्साह’ नमक स्थाई भाव ही ‘वीर रस’ में परिणत हो जाता है।
जैसे- 1.बुंदेले हर बोलो के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी, वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
2.“वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो।
सामने पहाड़ हो कि सिंह की दहाड़ हो।
तुम कभी रुको नहीं तुम कभी झुको नहीं।।
4-हास्य रस
प्रश्न- हास्य रस की परिभाषा देते हुए उदाहरण लिखिए।
उत्तर- हास्य रस की परिभाषा- किसी व्यक्ति के विकृति आकार, वेश-भूषा, वाणी और चेष्टा आदि से हास्य रस उत्पन्न होता है।
अथवा
‘हास’ नमक स्थाई भाव ही ‘हास्य रस’ में परिणत हो जाता है।
जैसे- “डंडा ऊँचा रहे हमारा, विश्व विजयी लाठंगा प्यारा।
सदा शक्ति बरसाने वाला, दुष्टों को सरसाने वाला।।
नोट-इस पंक्ति को पढ़ने से हँसी आ जाती है, इसलिए यहाँ पर हास्य रस होगा।।
उदाहरण-2. “ बंदर ने कहा बंदरिया से चलो नहाने गंगा,
बच्चों को छोड़ो घर में होने दो हुडदंगा ।।”
उदाहरण-3. “ आधा पात बबूल का तामें तनकि पिसान,
लालाजी करने लगे, छठे छमासे दान।।”
Ras Aur Bhed?/ras ke udaharan
5-रौद्र रस
प्रश्न- रौद्र रस की परिभाषा देते हुए उदाहरण लिखिए।
उत्तर- रौद्र रस की परिभाषा- जहाँ पर अपमानजनक क्रियाओं के फलस्वरूप हृदय में क्रोध का भाव उत्पन्न हो, वहाँ रौद्र रस होता है।
अथवा
‘क्रोध’ नमक स्थाई भाव ही ‘रौद्र रस’ में परिणत हो जाता है।
जैसे- “श्रीकृष्ण के वचन सुन, अर्जुन क्रोध से जलने लगे।
सब शोक अपना भूलकर, करतल युगल मलने लगे।।”
6-शांत रस
प्रश्न- शांत रस की परिभाषा देते हुए उदाहरण लिखिए।
उत्तर- शांत रस की परिभाषा- जहाँ पर भक्ति, नीति, ज्ञान, वैराग्य, धर्म, दर्शन, सांसारिक नश्वरता संबंधी प्रसंगों का वर्णन होता है, वहाँ शांत रस होता है।
अथवा
‘निर्वेद’ नमक स्थाई भाव ही ‘शांत रस’ में परिणत हो जाता है।
जैसे- माटी कहे कुम्हार से तू क्या रौंदे मोय,
एक दिन ऐसा आएगा मैं रौंदूँगा तोए।।”
7-अद्भुत रस
प्रश्न- अद्भुत रस की परिभाषा देते हुए उदाहरण लिखिए।
उत्तर- अद्भुत रस की परिभाषा- जहाँ पर आश्चर्य जनक वस्तुओं को देखकर हृदय में विस्मय का भाव जागृत हो, तो वहाँ पर अद्भुत रस होगा।
अथवा
‘विस्मय’ नमक स्थाई भाव ही अद्भुत रस’ में परिणत हो जाता है।
जैसे-बिनु पग चलै, सुनै बिनु काना।
कर बिनु कर्म करे, विधि नाना।
आनन सहित सकल रस भोगी।
बिनु वाणी वक्ता, बड जोगी।।
स्पष्टीकरण- यहाँ पर बिना पैरों के चलना, बिना कानों के सुनना और बिना कर्म किए विभिन्न कार्यों को करना बताया गया है जो आश्चर्य करने वाली बात है। इसलिए यहाँ पर अद्भुत रस होगा ।
Ras Aur Bhed? /रस के प्रकार /ras ke prakar
8-वीभत्स रस
प्रश्न- वीभत्स रस की परिभाषा देते हुए उदाहरण लिखिए।
उत्तर- वीभत्स रस की परिभाषा- जहाँ पर किसी अप्रिय वस्तुओं का वर्णन हो, तो वहाँ पर वीभत्स रस होगा।
अथवा
‘जुगुप्सा/घृणा’ नमक स्थाई भाव ही वीभत्स रस’ में परिणत हो जाता है।
जैसे-1. “सुड़क-सुड़क घाव से पिल्लू (मवाद) निकल रहा।
नासिका से श्वेत पदार्थ निकल रहा है।”
उदाहरण-2.सर पर बैठो काग आँखि दोऊ खात –निकारत।
खींचत जीभहिं स्यार अतिहि आनंद उरधारत।।”
स्थाई भाव-जुगुप्सा ।
आलंबन-मांस,रक्त,अस्थि,दुर्गन्ध ,श्मशान ।
उद्दीपन-रक्त, माँस आदि का सड़ना, कुत्ते –गिद्ध द्वारा शव नोचना।
अनुभाव- नाँक-भौं सिकोड़ना, थूकना, रोमाँच।
संचारी भाव- जड़ता, मोह, व्याधि।
9-भयानक रस
प्रश्न- भयानक रस की परिभाषा देते हुए उदाहरण लिखिए।
उत्तर- भयानक रस की परिभाषा- जहाँ पर भयानक दृश्यों को देखकर या पढ़कर हृदय में भय का भाव उत्पन्न हो, वहाँ भयानक रस होता है।
अथवा
‘भय’ नमक स्थाई भाव ही ‘भयानक रस’ में परिणत हो जाता है।
जैसे- “उधर गरजती सिंधु लहरियाँ, कुटिल काल के जालों सी।
चली आ रहीं फेन उगलती फन फैलाये व्यालों सी।।”
स्थाई भाव-भय
आलंबन-भयानक दृश्य
उद्दीपन-आलंबन की चेष्टाएँ, कोलाहल
अनुभाव-कंप,स्वेद,पलायन,मूर्च्छा
संचारी भाव –आवेग शंका, दैन्य, चिंता
10-वात्सल्य रस
प्रश्न- वात्सल्य रस की परिभाषा देते हुए उदाहरण लिखिए।
उत्तर- वात्सल्य रस की परिभाषा- जहाँ पर अपने से छोटों के प्रति स्नेह का भाव व्यक्त हो, तो वहाँ पर वात्सल्य रस होगा।
अथवा
‘वत्सल्य’ नमक स्थाई भाव ही वात्सल्य रस’ में परिणत हो जाता है।
अथवा
छोटे बालकों के बाल –सुलभ मानसिक क्रिया –कलापों से वर्णन से उत्पन्न वात्सल्य प्रेम की परिपक्वता को वात्सल्य रस कहते हैं।
जैसे-1- मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो।
2-जसोदा हरि पालनें झुलावै।
बहुविकल्पी प्रश्न (MCQs)
प्रश्न-1. रसों का राजा किसे कहा जाता है?
(i)करुण रस
(ii)वीर रस
(iii)शृंगार रस
(iv)शांत रस
उत्तर-(iii) शृंगार रस
प्रश्न- 2.निर्वेद किस रस का स्थाई भाव है?
(i)वीर रस
(ii)वीभत्स रस
(iii)वात्सल्य रस
(iv)शांत रस
उत्तर-(iv)शांत रस
प्रश्न-3.वीर रस का स्थाई भाव क्या है?
(i)शोक
(ii)उत्साह
(iii)घृणा
(iv)रति
उत्तर-(ii)उत्साह
प्रश्न-4.रस के कितने अंग हैं ?
(i) दस
(ii)तीन
(iii)चार
(iv)नौ
उत्तर-(iii)चार
प्रश्न-5.आचार्य भरत मुनि ने संचारी भावों की संख्या कितनी मानी है?
(i) तीस
(ii)बत्तीस
(iii)तैंतीस
(iv)चौंतीस
उत्तर-(iii)तैंतीस
Ras Aur Bhed?/ ras ke prakar
डॉ. अजीत भारती