छायावादी युग की प्रमुख विशेषताएँ
छायावादी युग की प्रमुख विशेषताएँ?
आधुनिक हिंदी कविता के इतिहास में भाव की छायावाद एवं रहस्यवाद में अंतर तरलता और व्यर्थ की सूक्ष्मता की दृष्टि से छायावाद एक अत्यंत महत्वपूर्ण काल है। इसका समय सन् 1920 से 1936 ई. तक माना जाता है।
1-व्यक्तिवाद की प्रधानता-
इस युग के कवियों ने अपने व्यक्तिगत जीवन से जुड़े सुख और दुःख दोनों ही भावों का मार्मिक चित्रण अपनी कविताओं में किया है।
उदाहरण-मैं नीर भरी दुःख की बदली।
उमड़ी कल, मिट आज चली।
2-प्रकृति का मानवीयकरण-
इस युग के कवियों ने प्रकृति (पेड़, पौधे, सूरज, चंद्रमा, नदी, झरना, समुद्र, आकाश, बादल, पर्वत और पहाड़ आदि) को मनुष्य की तरह काम करते हुए बताया जाता है। इस प्रकार के वर्णन में मानवीयकरण शैली का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण- बीती विभावरी जाग री।
अम्बर पनघट पर डूबो रही।
तारा घाट उषा-नागरी।
3-नारी के आदर्श रूप का चित्रण-
छायावादी कवियों ने नारी के प्रति अपने आदर्श एवं श्रृद्धा भाव को व्यापक किया है, उन्होंने नारी को जननी, माँ, सखी, सहचरी कहकर संबोधित किया है। नारी के प्रति किए जा रहे, शोषण के विरुद्ध आक्रोश भी व्यक्त किया है।
उदाहरण-
मुक्त करो, हे नर मुक्त करो।
युग-युग की करा से बंदिनी नारी को।
4-मानवतावादी भावना-
छायावादी कवियों ने मानव जीवन को सबसे सुन्दर बताते हुए, मानवतावादी भावना को विशेष रूप से व्यक्त किया है।
उदाहरण-
औरों को हँसते देखो, और सुख पाओ।
अपने सुख को विस्तृत कर,
सबको सूखी बनाओ।
5-सौंदर्य वर्णन-
छायवादी कवियों ने नारी सौंदर्य तथा प्रकृति सौंदर्य दोनों का ही चित्रण अपनी कविताओं में किया है-उनका यह सौंदर्य वर्णन अनुपम एवं अद्वितीय बन पड़ा है।
उदाहरण- नील परिधान बीच सुकुमार, खुल रहा मृदुल गुलाबी अंग।
खिला ज्यों बिजली का फूल-मेघ बन बीच गुलाबी रंग।
6-रहस्वादी चेतना-
छायावादी कविता में रहस्वादी चेतना के भी दर्शन होते हैं।
7-अलंकारों का विशेष प्रयोग-
छायवादी कवियों ने अनुप्रास, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा के साथ-साथ मानवीयकरण अलंकारों का विशेष प्रयोग किया है।
8-मुक्त छंदों का प्रयोग-
मुक्त छंद कविता सबसे पहले सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने शुरू की थी। निराला जी छायावाद के प्रमुख कवियों में से एक हैं। अतः मुक्तक शैली का प्रयोग सबसे पहले इसी काल से माना जाता है।
9-चित्रात्मकता भाषा का प्रयोग-
छायावाद के कवि अपनी रचनाओं में इस प्रकार की भाषा का प्रयोग करते हैं कि पाठक के मन में चित्र बनते जाते हैं।
छायावाद के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ
1-जयशंकर प्रसाद- कामायनी, झरना, आँसू, लहर।
2-महादेवी वर्मा- नीरजा, दीप शिखा, सांध्यगीत।
3-सूर्यकान्त त्रिपाठी- अनामिका, परिमल, कुकुरमुत्ता।
4-सुमित्रानंदन पन्त- चिदम्बरा, गुंजन, ग्रंथि, पल्लव।