रामवृक्ष बेनीपुरी की भाषा शैली
रामवृक्ष बेनीपुरी का साहित्यिक परिचय ?
प्रश्न-‘रामवृक्ष बेनीपुरी’ का साहित्यिक परिचय निम्न बिन्दुओं पर लिखिए:
(ii)दो रचनाएँ (ii) भाषा-शैली
उत्तर- रामवृक्ष बेनीपुरी का साहित्यिक परिचय
(i)दो रचनाएँ-लाल तारा, मशाल।
(ii)भाषा-शैली- इनके विषय और पात्र के अनुरूप भाषा और शैली का चुनाव करते हैं-
भाषा-
रामवृक्ष बेनीपुरी खड़ीबोली के लेखक हैं। वे सरल और छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग करते हैं। उन्होंने तत्सम, तद्भव, देशज व विदेशी शब्दों का भी प्रयोग किया है। आपकी भाषा में गंभीरता दिखाई देती है। मुहावरे और लोकोक्तियों के प्रयोग से भाषा में सजीवता प्रकट होती है।
शैली-
बेनीपुरी की शैली का प्रभाव उनकी रचनाओं में खूब दिखाई देता है-
(i)भावात्मक शैली-लेखक ने इस शैली का प्रयोग सरल, प्रवाह, अलंकार आदि के संयोग से अपनी रचनाओं में किया है। इस शैली के प्रयोग से उनकी रचनाओं में सौंदर्य उभर कर आता है।
(ii)आलोचनात्मक शैली-जब बेनीजी किसी विषय को लेकर समीक्षा करते हैं तब वे इस शैली का प्रयोग करते हैं।
(iii)वर्णनात्मक शैली- लेखक अपनी बात को कई तरह से प्रकट करते हैं। इस भाषा की शैली सरल और सुबोध होती है। इसका प्रयोग उन्होंने कहानी, रेखाचित्र, जीवनी, यात्रावृतांत और संस्मरण आदि रचनाओं में किया है।
(iv)प्रतीकात्मक शैली-इस शैली का प्रयोग लेखक ने अपने निबंध लेखन में किया है। वे इस शैली से अपने विचारों को व्यक्त करने में चतुर हैं।
साहित्य में स्थान-
रामवृक्ष बेनीपुरी का हिंदी साहित्य में बड़ा योगदान दिया है। वे हिंदी गद्य के कुशल रचनाकार हैं। इसीलिए उन्हें कलम का जादूगर कहा जाता है। उन्हें हिंदी जगत युगों-युगों तक याद रखेगा।
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डॉ. अजीत भारती (www.hindibharti.in)