भक्तिकाल की विशेषताएँ
भक्तिकाल की विशेषताएँ? हिंदी की प्रमुख विशेषताएँ और प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ
1-नाम की महिमा- इस युग के कवियों ने ईश्वर के नाम स्मरण को बहुत महत्व दिया है।
जैसे- सूर ने कृष्ण को और तुलसीदास ने राम के नाम को महत्व दिया है।
2-भक्तिभावना की प्रधानता- इस युग के कवियों ने अपने-अपने आराध्य के प्रति एकनिष्ठ होकर अटूट भक्ति भावना का प्रतिपादन किया है।
जैसे- सूर, मीरा, रसखान की कृष्ण के प्रति और तुलसी की राम के प्रति भक्ति भावना अधिक दिखाई देती है।
3- गुरु की महिमा का गान- भक्तिकाल के कवियों ने गुरुओं की महिमा का खूब गुणगान किया है। उन्होंने उसे सच्चा मार्गदर्शक बताया है।
जैसे- कबीर ने कहा- गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागू पाय।
4- साहित्य का स्वर्णकाल- इस युग को अभूतपूर्व विशेषताओं के कारण हिंदी साहित्य का स्वर्णकाल कहा जाता है।
बाबू श्याम सुंदर के अनुसार- जिस युग में कबीर, जायसी, सूर और तुलसी जैसे कवियों की वाणी देश के कोने-कोने में फैली थी। उसे साहित्य में संभवता भक्तियुग कहते हैं।
5- जाँति-पाँति का विरोध- उस समय देश में कई सामाजिक बुराइयाँ व्याप्त थीं। तत्कालीन कवियों ने जाँति-पाँति और छुआछूत का डटकर विरोध किया।
उदाहरण- जाति न पूछो साधु की पूछ लीजिए ज्ञान। (कबीरदास)।
aadikal ki visheshtayen
6- अहिंसा पर बल- इस युग के कवियों ने हिंसा का विरोध किया है। वे मानव ही नहीं बल्कि समस्त प्राणी जगत के हिंसा के खिलाप हैं।
7- मानवतावादी भावना- भक्तिकालीन समय के कवियों ने मनुष्य को ब्रह्मा का स्वरुप माना है। इसमें राम और रहीम की एकता पर बल दिया है।
8- भारतीय संस्कृति का वर्णन- इस युग के कवियों ने अपनी रचनाओं में भारतीय संस्कृति के धर्म, दर्शन और अध्यात्म को विशेष महत्व दिया है।
9- लोक कल्याण की भावना- इस काल के कवियों ने समाज सुधार और लोक कल्याण के प्रति उनका विशेष अनुग्रह दिखाई देता हैं।
10- विभिन्न मतों का प्रभाव- इस युग में सगुण, निर्गुण, रामभक्त, कृष्णभक्त, ज्ञानाश्रयी, प्रेमाश्रयी, द्वैत और अद्वैत आदि मतों का प्रभाव दिखाई देता है।
11- अवधी और ब्रजभाषा का प्रयोग- भक्तिकाल के कवियों ने अवधी और ब्रज भाषा में अपनी रचनाएँ की हैं।
12- विभिन्न छंदों का प्रयोग- इस युग की काव्य रचनाओं में दोहा, सोरठा, चौपाई, रोला, कवित्त, कुण्डलियाँ, छप्पय आदि छंदों का अधिक प्रयोग दिखाई देता है।
13- विशेष रस का प्रयोग- भक्तिकाल में शांत, शृंगार और वात्सल्य रस का विशेष प्रयोग मिलता है।
14- अलंकारों का प्रयोग- इस युग के कवियों ने अनुप्रास, यमक, उपमा, रूपक, मानवीकरण और प्रतीप अलंकार आदि का अधिक प्रयोग किया है।
भक्तिकाल के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ
रचनाकार रचनाएँ
तुलसीदास – रामचरितमानस
सूरदास – सूरसागर
कबीरदास – बीजक
जायसी – पद्मावत
नंददास – भँवरगीत
रसखान – प्रेमवाटिका
मीराबाई – राग गोविंद
राम भक्ति शाखा https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF_%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B2
राम भक्ति शाखा की विशेषताएँ-https://hindibharti.in/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%AD%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF-%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%96%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%87%E0%A4%B7%E0%A4%A4%E0%A4%BE/