सूरदास का जीवन परिचय
सूरदास का जीवन परिचय? इस पेज पर कक्षा 10 म.प्र. बोर्ड के हिंदी विषय के अंतर्गत बोर्ड द्वारा पूछे गए प्रश्न के अनुरूप 100 प्रतिशत सही परिचय दिया जा रहा है । दसवीं में पढ़ने वाले छात्रों के लिए बहुत उपयोगी होगा, छात्र इसे तैयार करके अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है । और वह दूसरे कवियों का जीवन परिचय इसी के आधार पर सरल ढंग से लिखना सीख सकता है।
प्रश्न- सूरदास का परिचय निम्न बिन्दुओं के आधार पर दीजिए-
1-दो रचनाएँ
2-भाव पक्ष
3-कला पक्ष
4- साहित्य में स्थान
उत्तर- सूरदास का परिचय
दो रचनाएँ- सूरसागर, सूर सारावली।
भावपक्ष-
सूरदास के पद गीत की तरह गाए जा सकते हैं। उन्होंने अपनी कविताओं में कृष्ण के बाल रूप व गोपियों के प्रति प्रेम रूप का चित्रण किया है। सूर ने अपने काव्य में शृंगार, वात्सल्य, शांत तथा अद्भुत रस की धारा बहाई है। उनकी भक्ति सखा भाव की है। सूरदास ने ज्ञान की अपेक्षा भक्ति को महत्व दिया है।
कलापक्ष-
सूरदास की भाषा ब्रज है। उन्होंने जन समुदाय में भी प्रचलित ब्रज भाषा का ही प्रयोग किया है। संस्कृत के सरल शब्दों का भी प्रयोग बड़ी चतुराई से किया है। लोकोक्तियों और मुहावरों के प्रयोग से चार चाँद लग गए हैं। आपकी भाषा बहुत ही मनमोहक है।
सूरदास ने अपने काव्य में मुक्तक और पद शैली को अपनाया है। आपकी रचनाओं में रूपक, उपमा, श्लेष और उत्प्रेक्षा आदि अलंकारों का स्वाभाविक प्रयोग मिलता है।
साहित्य में स्थान-
सूरदास गीत काव्य के अमर गायक हैं। उन्हें हिंदी में वात्सल्य रस का सम्राट माना जाता है। गोपियों की बोलने की चतुरता और निस्वार्थ प्रेम का सूर ने सुंदर चित्रण किया है। वे हिंदी जगत के महान कवियों में से एक हैं।
आचार्य- डॉ. अजीत भारती