सत्ता की भूख ज्ञान की वर्तिका को बुझा देती है

 

सत्ता की भूख ज्ञान की वर्तिका को बुझा देती है”? पर अनुच्छेद लेखन करते समय निम्नलिखित सावधानियाँ रखनी चाहिए:

  1. विषय पर केंद्रित रहें: विषय का मुख्य केंद्र “सत्ता की भूख” और “ज्ञान की वर्तिका का बुझना” है। लेखन में केवल इन्हीं बिंदुओं पर चर्चा करें और अनावश्यक बातें शामिल न करें।
  2. संयमित भाषा का प्रयोग: भाषा संयमित, सरल और स्पष्ट होनी चाहिए। अत्यधिक कठिन शब्दों से बचें ताकि पाठक आसानी से समझ सकें।
  3. तर्कसंगत व्याख्या: सत्ता की भूख और ज्ञान के बीच विरोधाभास को तार्किक तरीके से समझाएँ। सत्ता के लालच से किस प्रकार ज्ञान का ह्रास होता है, इसे उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट करें।
  4. उदाहरणों का संतुलन: उदाहरण देते समय ध्यान रखें कि वे उचित और सटीक हों। किसी विशिष्ट व्यक्ति या समुदाय पर उँगली उठाने के बजाय सामान्य उदाहरणों का ही उपयोग करें।
  5. सकारात्मक निष्कर्ष: अनुच्छेद का अंत सकारात्मक तरीके से करें। सत्ता और ज्ञान में संतुलन का महत्व बताकर पाठकों को प्रेरणा दें कि वे सत्ता की भूख में न फँसकर ज्ञान का सम्मान करें।
  6. समाज और व्यक्तिगत विकास पर प्रभाव: सत्ता की भूख का प्रभाव केवल व्यक्तिगत जीवन पर नहीं, बल्कि समाज पर भी होता है। इसलिए लेखन में इसका उल्लेख करें कि सत्ता का लालच समाज में भ्रष्टाचार, अन्याय और असमानता को कैसे जन्म देता है।

20भाव पल्लवन/भाव विस्तार का उदाहरण

प्रश्न-20.सत्ता की भूख ज्ञान की वर्तिका को बुझा देती है? का भाव पल्लवन लिखिए

उत्तर-अनुच्छेद लेखन-सत्ता की भूख ज्ञान की वर्तिका को बुझा देती है

सत्ता और ज्ञान, दोनों का उद्देश्य समाज को सही दिशा में ले जाना है, परंतु जब सत्ता की भूख बढ़ती है,

तो इसका नकारात्मक प्रभाव व्यक्ति के ज्ञान और विवेक पर पड़ता है। सत्ता का उद्देश्य केवल अधिकार

और शक्ति प्राप्त करना नहीं है, बल्कि उसका प्रयोग समाज की भलाई के लिए करना है। लेकिन जब

सत्ता का लालच व्यक्ति की प्राथमिकता बन जाता है, तब वह अपने ज्ञान और सद्गुणों का त्याग करने

लगता है। सत्ता की लालसा व्यक्ति को इस हद तक अंधा बना देती है कि वह सही-गलत का भेद भूल

जाता है और अपनी नीतियों में स्वार्थ को प्राथमिकता देने लगता है।

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ज्ञान व्यक्ति को सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है और सत्य को पहचानने में सक्षम बनाता है।

परंतु सत्ता की भूख में अंधे व्यक्ति के लिए ज्ञान का कोई महत्व नहीं रह जाता। उसका उद्देश्य केवल

अपने पद और अधिकार को बचाए रखना होता है। सत्ता का यह मोह अंततः व्यक्ति को विवेकहीन

बना देता है और उसके ज्ञान की ज्योति धीरे-धीरे मंद पड़ने लगती है। जब कोई व्यक्ति सत्ता की इस

भूख में पड़ता है, तो उसके अंदर ज्ञान की वर्तिका बुझने लगती है, जिससे समाज में अराजकता,

भ्रष्टाचार और अन्याय का प्रसार होता है।

अनुच्छेद लेखन 

सत्ता का लालच इस कदर हावी हो जाता है कि व्यक्ति अपनी अंतरात्मा की आवाज़ को अनसुना कर

देता है। इससे न केवल व्यक्ति का, बल्कि समाज का भी पतन होने लगता है। ऐसे में यह आवश्यक है

कि व्यक्ति अपने ज्ञान और विवेक को सशक्त बनाए और सत्ता के प्रति अपनी भूख को नियंत्रित रखे।


सत्ता की भूख ज्ञान की वर्तिका को बुझा देती है

डॉ. अजीत भारती 

 

By hindi Bharti

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