रामभक्ति शाखा की विशेषताएँ
रामभक्ति शाखा की विशेषताएँ? भक्तिकाल को दो भागों विभाजित किया गया है। सगुण काव्यधारा और निर्गुण काव्यधारा ।
Rambhakti shakha ki pramukh visheshtayen-
1- सगुण राम की उपासना- इस युग के कवियों ने भगवान राम की आराधना की है। वे राम का स्वयं को दास मानते हैं।
2- भगवान राम के शक्तिशाली और सौंदर्य का चित्रण- कवियों ने उनके शक्तिशाली और आदर्श रूप का सुन्दर ढंग चित्रण किया है।
3- राम के मर्यादापूर्ण छवि का प्रतिपादन- इस युग के कवियों ने भगवान राम के मर्यादापूर्ण छवि का चित्रण किया है। इसलिए वे मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाते हैं।
4- राम की लीलाओं का गान- इस काल के कवियों ने राम के बाल रूप का सुन्दर वर्णन किया है। बाल नटखट शरारतों का मनोहर चित्रण सहज ढंग से कवियों की रचनाओं में दिखाई देता।
5- भगवान राम की लोककल्याण भावना का चित्रण- कवियों ने समाज के कल्याण के लिए राम के नैतिक और सदाचार चरित्र का वर्णन किया है।
6- राम-राज्य के आदर्शों का प्रतिपादन- कवियों ने राम को लोक रक्षक तथा अधर्म का विनाशक एवं धर्म का संस्थापक बताया गया है।
7- गुरु महिमा का गान- इस समय के कवियों ने अपने गुरु की महिमा का गुणगान किया है। उनका मनना है कि गुरु की कृपा से सबकुछ संभव है।
8- भारतीय संस्कृति की विशेषताओं का वर्णन- राम भक्त कवियों ने अपनी कविताओं में भारत के खान-पान, वेश-भूषा, बोलचाल-भाषा और रहन-सहन के ढंग का सुन्दर वर्णन किया है।
9- अवधी और ब्रज भाषा का प्रयोग- इनकी रचनाएँ मुख्य रूप से अवधी भाषा में रची गईं हैं। परन्तु विनय पत्रिका, कवितावली और गीतावली जैसी कुछ रचनाएँ ब्रज भाषा में भी मिलती हैं।
10- छंद-दोहा, चौपाई और सोरठा- इन कवियों की कविताओं में दोहा, चौपाई और सोरठा छंद का सफल प्रयोग दिखाई देता है।
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11- समस्त रसों की सुंदर व्यंजना- वैसे तो राम की कविता में सभी रसों का प्रयोग हुआ है, परन्तु शांत, श्रृंगार, करुण, हास्य, भयानक, रौद्र और वीर रस आदि रसों का विशेष प्रयोग दिखाई देता है।
12- दास्य भाव की भक्ति का प्रतिपादन- इस युग के जितने भी कवि हुए हैं उन्होंने स्वयं को राम का दास्य माना है।
13- प्रबंध काव्य रूप का प्रयोग- भक्तिकाल के राम भक्ति कवियों ने राम कथा को लेकर प्रायः प्रबंध काव्यों की रचना की है।
14- प्रकृति के विविध रूपों का चित्रण- इस युग की कविताओं में पर्वत, झरना, नदी, पहाड़, बाग-बगीचे, वन-जंगल के मनोरम प्राकृतिक दृश्य आदि विभिन्न रुपों का चित्रण हुआ है।
15- समन्वय शीलता- इस समय के कवियों ने समय धर्म, जाति, भाषा को लेकर समाज में विषमता व्याप्त थी। लेकिन रामचरितमानस में राम ने केवट, भील जैसे लोगों को भी गले लगाकर समन्वय की स्थापना की।
16- प्रबंध काव्य में पात्रों का स्वाभाविक चित्रण- रामचरितमानस मानस जैसे प्रबंध काव्य में राम, लक्ष्मण, सीता, भरत, शत्रुघन, विभीषण, हनुमान, रावण जैसे सभी पात्र स्वाभाविक हैं।
17- लोकमंगल की भावना- रामचरित मानस में बताया गया है समाज में राजा राम की तरह, भाई लक्ष्मण की तरह, मित्र हनुमान की तरह, पत्नी सीता की तरह होना चाहिए। इन कारणों से रामचरित मानस को लोक कल्याणकारी माना है।
18-अलंकार का प्रयोग- इस युग के कवियों ने अनुप्रास, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, प्रतीप, विभावना जैसे अलंकारों का अधिक प्रयोग किया है।
रामभक्ति–शाखा के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ
कवि रचनाएँ
तुलसीदास- रामचरित मानस, विनय पत्रिका, दोहावली
अग्रदास- ध्यानमंजरी, अष्टयाम
नाभादास- भक्त-माल, अष्टयाम
हृदयराम- हनुमन्नाटक
प्राणचंद चौहान- रामायण महानाटक
केशवदास- रामचंद्रिका, कविप्रिया, रसिक प्रिया
माधवदास चारण- रामरासो, अध्यात्म रामायण
रामभक्ति काव्य की विशेषताएं http://saralmaterials.com/content.php?id=56#gsc.tab=0
आप हमेशा खुश रहें !
धन्यवाद!
डॉ. अजीत भारती
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