तुलसीदास का जीवन परिचय
तुलसीदास का जीवन परिचय?
Tulasidas का परिचय (म.प्र. बोर्ड भोपाल )
दो रचनाएँ-
रामचरित मानस, गीतावली।
भाषा-
तुलसीदास संस्कृत भाषा के बड़े जानकर थे। उसके बाद भी उन्होंने लोगों की भाषा अवधी और ब्रज को अपनाया। इनकी भाषा में लोकोक्ति और मुहावरों का विशेष प्रयोग दिखाई देता है। भाषा की मधुरता ने काव्य में चार चाँद लगा दिए हैं। भाषा का प्रभाव इतना है कि आज भी लोगों के होठों से उनकी काव्य पंक्तियाँ सुनी जा सकती हैं।
शैली-
तुलसी की रचनाओं में किसी विशेष शैली का प्रयोग नहीं दिखाई देता है। उन्होंने सभी प्रमुख शैलियों का प्रयोग किया है। रामचरितमानस में प्रबंध और विनयपत्रिका में गेय शैली का प्रयोग किया है। कवितावली में कवित्त और वरबै रामायण में छप्पय शैली का प्रयोग दिखाई देता है। कुछ रचनाओं में वर्णनात्मक और उपदेशात्मक शैली प्रयोग मिलता है।
साहित्य में स्थान-
तुलसीदास भक्तिकाल के प्रमुख कवि हैं। उन्हें जन कवि माना जाता है। उनके हृदय में लोकमंगल की भावना थी। वे सभी के लिए सुख की कामना करते हैं। उनकी रचनाओं में मानव जीवन के सभी चरित्र मिलते हैं। वास्तव में तुलसीदास लोकनायक थे। ऐसे रचनाकार को समस्त जगत सदैव नमन करता रहेगा।
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तुलसीदास का परिचय
आचार्य- डॉ. अजीत भारती