Netaji ka chashma summary

Netaji ka chashma summary

Netaji ka chashma summary? आज हम इस पाठ को सार या समरी के मध्यम से समझेंगे ।

NCERT  CBSE कक्षा-10 विषय-हिंदी-अ क्षितिज भाग-2 गद्यखंड

पाठ- नेताजी का चश्मा- लेखक स्वयं प्रकाश

नेताजी का चश्मा एक कहानी है। कहानी किसे कहते हैं? पहले ये जान लेते हैं। कहानी-जिसमें जीवन के किसी एक घटना को पात्रों, संवाद एवं घटनाक्रम के माध्यम से नाटकीय रूप में अभिव्यक्ति दी जाती है, उसे कहानी कहते हैं।


पाठ का सार पार्ट-1 

कहानी कुछ इस प्रकार है कि हालदार साहब हर पन्द्रहवें दिन कंपनी के काम से एक छोटे से कस्बे से निकलते थे। उस कस्बे में एक लड़कों का स्कूल, एक लड़कियों का स्कूल, एक सीमेंट का कारखाना, दो ओपन सिनेमा तथा एक नगरपालिका थी। नगरपालिका थी तो कुछ ना कुछ करती रहती थी, कभी सड़के पक्की करवाने का काम तो कभी शौचालय तो कभी कवि सम्मलेन करवा दिया।


पाठ का सार पार्ट-2

  एक बार नगरपालिका के एक उत्साही अधिकारी ने मुख्य बाजार के चौराहे पर सुभाषचंद्र बोस की संगमरमर की मूर्ति लगवा दी। चूँकि बजट अधिक नहीं था इसलिए मूर्ति बनाने का काम कस्बे के एक ड्राइंग मास्टर को दे दिया जाता है। मूर्ति सुंदर बनी थी। लेकिन उसमें एक कमी थी। नेताजी की आँखों में चश्मा नहीं था। किसी ने मूर्ति को रियल का एक काला चश्मा पहना दिया था। जब हालदार साहब आए तो वे देखकर बोले, वाह भई ! क्या आइडिया है। मूर्ति पत्थर का और चश्मा रियल का। दूसरी बार जब हालदार साहब आए तो उन्होंने मूर्ति पर तार से बना गोल फ्रेम वाला चश्मा लगा देखा।


पाठ का सार पार्ट-3 

          तीसरी बार फिर उन्होंने नया चश्मा देखा। इस बार उन्होंने पानवाले से पूछ लिया कि नेताजी का चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है? उसने बताया- यह काम कैप्टन चाश्मेंवाला करता है। हालदार तुरंत समझ गए कि बिना चश्में वाली मूर्ति कैप्टन को अच्छी नहीं लगती होगी इसलिए वह अपनी ओर से चश्मा लगा देता होगा है। जब कोई ग्राहक वैसे ही फ्रेम वाले चश्में की माँग करता होगा जैसा मूर्ति पर लगा है तो वह मूर्ति से उतारकर दे देता होगा और मूर्ति पर फिर से नया फ्रेमवाला चश्मा लगा देता होगा।


पाठ का सार पार्ट-4 

  हालदार साहब ने पानवाले से यह भी पूछा कि कैप्टन चश्मेवाला नेताजी का साथी है क्या? या आजाद हिन्द फ़ौज का कोई भूतपूर्व सिपाही? पानवाला बोला कि वह लंगड़ा क्या फ़ौज में जाएगा, वह तो पागल है, पागल! हालदार साहब को एक  देशभक्त का इस तरह से मजाक उड़ाना  अच्छा नहीं लगा। जब उन्होंने कैप्टन को देखा तो उनको बड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि कैप्टन एक बूढ़ा, मरियल तथा लंगड़ा (दिव्यांग) सा आदमी था। उसके सिर पर गाँधी टोपी और गोला चश्मा था। वह एक हाथ में छोटी – सी संदूकची और दूसरे हाथ में चश्मों वाला बांस लिए था। 


पाठ का सार पार्ट-5 

         दो साल के भीतर हालदार साहब ने नेताजी की मूर्ति पर कई चश्मे बदलते हुए देखे। एक बार जब हालदार साहब पुनः कस्बे से गुजरे तो उनको मूर्ति पर किसी प्रकार का चश्मा नहीं दिखाई दिया। कारण पूछने पर पानवाले ने बताया कि कैप्टन मर चुका है। जिसका उन्हें बहुत दुःख हुआ। पंद्रह दिन बाद जब वे कस्बे से गुजरे तो उन्होंने ड्राइवर से कहा पान कहीं आगे खा लेंगे। मूर्ति की ओर भी नहीं देखेंगे।


पाठ का सार पार्ट-6 

       परन्तु आदत से मजबूर हालदार साहब की नजर चौराहे पर आते ही आँखे मूर्ति की ओर उठ जाती हैं। वे गाड़ी से उतर कर मूर्ति के सामने सावधानी से खड़े हो जाते हैं। मूर्ति पर बच्चों द्वारा बना एक सरकंडे का छोटा-सा चश्मा लगा हुआ था। सरकंडे का चश्मा देखकर उनकी आखें नम हो जाती हैं। वे भावुक हो गए।


धन्यवाद!

Netaji ka chashma summary

डॉ. अजीत भारती

By hindi Bharti

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