Kanyadan Previous Question

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Kanyadan Previous Question? यहाँ पर सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में पाठ कन्यादान से पूछे गए प्रश्न और सरल भाषा में बहुत ही importent उत्तर । ये प्रश्न परीक्षा की दृष्टि से उपयोगी हैं।

CBSE Board/Class-10/ हिंदी-अ/क्षितिज-2 (कव्यखंड)

पाठ-कन्यादान-ऋतुराज

CBSE बोर्ड परीक्षा में 2010 से 2020 तकपाठ-कन्यादान-ऋतुराजसे पूछे गए प्रश्न और उनके उत्तर- 

2010

प्रश्न-1.‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को क्या-क्या सीख दी है?

उत्तर- ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को निम्न सीख दी है-

(i) कितनी भी मुसीबतें आएँ कभी डरना नहीं। उनका हिम्मत से सामना करना।

(ii) किसी पर न तो कभी अन्याय करना और न ही अपने ऊपर अन्याय होने देना।

(iii) आग रोटियाँ सेकने के लिए होती हैं जलने के लिए नहीं।

(iv) वस्त्र और आभूषण के लालच में कभी न आना ये स्त्री को कमजोर करती हैं।

(v) अपने रूप सौंदर्य पर ज्यादा आकर्षित न होना।

नोट- दो अंक के प्रश्न में किन्हीं तीन बिंदु को लिखना  पर्याप्त है।

2011

प्रश्न-2. ‘कन्यादान’ कविता में बेटी को क्या -क्या सीख दी गई है?

उत्तर- ‘कन्यादान’ कविता में बेटी को निम्न सीख दी गई हैं-

(i) तम्हें अबला नहीं सबला बनकर रहना है।

(ii) यह कविता आभूषण और वस्त्र के लालच से बचकर रहने की सीख देती है।

(iii) यह बात सत्य है कि तुम लड़की हो परंतु कमजोर लड़की बनकर मत रहना।

प्रश्न-3. ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने वस्त्र और आभूषण को स्त्री जीवन के बंधन क्यों कहा है?

उत्तर- ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने वस्त्र और आभूषण को स्त्री जीवन के बंधन इसलिए कहा है क्योंकि वह इनके लालच में आकर अपनी आजादी खो देती है। घर के लोग उस पर पूरी जिम्मेदारियाँ डाल देते हैं। वस्त्र और आभूषण की चमक-धमक से वह शोषण सहने को तैयार हो जाती है।

2012

प्रश्न-4. ‘कन्यादान’ कविता के आधार पर कन्या की कोई दो विशेषताएँ बताइए।

उत्तर- ‘कन्यादान’ कविता के आधार पर कन्या की कोई दो विशेषताएँ निम्न हैं-

(i) वह बहुत ही सरल और भोली स्वभाव की है। अभी वह दूसरों के धोखे को नहीं समझ सकती है।

(ii) अभी वह समाज के बारे में ठीक से नहीं जानती है। वह न समझ है।

प्रश्न-5. ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को क्या-क्या सीखें दी हैं?

उत्तर- माँ ने बेटी को निम्न सीखें दी हैं-

(i) माँ ने बेटी को लालच से दूर रहने को कहा है।

(ii) माँ बेटी को चुनौतियों का सामना करने की सीख देती है।

(iii) सुंदरता पर अधिक ध्यान न देने की बात कही है।

2013

प्रश्न-6. ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को अंतिम पूँजी क्यों कहा है?

उत्तर- ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को अंतिम पूँजी इसलिए कहा है क्योंकि वह उसे पाल-पोस और पढ़ा-लिखाकर बड़ा करती है। वही उसकी सुख-दुःख की साथी होती है। माँ-बेटी एक दूसरे के बहुत ही निकट होती है। वह उसे पूँजी की भांति संभाल कर रखती है। अपनी उस पूंजी को वह विवाह के समय ससुराल विदा कर देगी। उसके बाद वह अकेली रह जाएगी।

प्रश्न-7. कविता में वस्त्र और आभूषण को स्त्री जीवन के बंधन क्यों कहा गया है?


उत्तर- वस्त्र और आभूषण के लोभ में आकर स्त्री अन्याय को निमंत्रण देती है।  उसकी आजादी छिन जाती है। उसके ऊपर पूरे परिवार की जिम्मेदारी रख दी जाती है। उसके जीवन के सारे सपने   जिम्मेदारियों के नीचे दब जाते हैं। और इस प्रकार उसका पूरा जीवन त्याग और कष्ट में समाप्त हो जाता है।


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प्रश्न-8. आपकी दृष्टि में कन्या के साथ ‘दान’ की बात करना कहाँ तक उचित है?

उत्तर- मेरी दृष्टि में कन्या के साथ ‘दान’ की बात करना ठीक नहीं है। वह कोई वस्तु नहीं है, जिसको दान किया जाए। वह एक इंसान है। उसकी भी पसंद और न पसंद होती है। वह कोई गुलाम नहीं है। वह भी खुले आसमान में उड़ना चाहती है। इस दृष्टि से कन्या के लिए दान की बात करना उचित नहीं है।


प्रश्न-9. ‘कन्यादान’ कविता में माँ के दुःख को कवि ने प्रामाणिक क्यों कहा है?

उत्तर- माँ अपनी बेटी को जन्म देकर पलती-पोसती और बड़ा करती है। वह उसकी सच्ची सखी होती है। माँ उसको जीवन का पाठ सिखाती है। वह उसे अपने से कभी दूर नहीं करती है। लेकिन एक समय ऐसा आता है जब उसकी बेटी को विवाह करके ससुराल जाना होता है। यह संसार का नियम है। विदा के समय बेटी के जाने से माँ को जो दुःख होता है, वह प्रामाणिक होता है।


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प्रश्न-10. ‘कन्यादान’ कविता में आधुनिक नारी जीवन की किन समस्याओं की ओर कवि ने संकेत किया है ?

उत्तर- कविता में आधुनिक नारी जीवन की निम्न समस्याओं की ओर कवि ने संकेत किया है-

(i) आज भी हमारे समाज में लड़की के पिता से विवाह के समय दहेज़ की माँग की जाती है। जबकि उसके लिए कठोर कानून भी है।

(ii) हमारे समाज में आज भी पुरुष स्त्री को कमजोर समझता है।

(iii) अभी भी लड़का-लड़की में भेद किया जाता है। लड़कियों की अपेक्षा लड़कों को अधिक स्वतंत्रता दी जाती  है।

(iv) उन्हें वस्त्र और आभूषण का लालच देखर, उनका शोषण किया जाता है।

(v) आज भी स्त्री को दान की वस्तु समझा जाता है। इसलिए कन्या ‘दान’ की बात होती है वर(लड़का) ‘दान’ की नहीं।

नोट- कोई दो बिंदु पर्याप्त हैं।  2 अंक के प्रश्न में।


प्रश्न-11. ‘कन्यादान’ कविता में वस्त्र और आभूषण को स्त्री के लिए बंधन क्यों कहा है?

उत्तर- कविता में वस्त्र और आभूषण को स्त्री के लिए बंधन इसलिए कहा गया है क्योंकि स्त्री इनके लालच में आ जाती है। जिससे वह स्वयं को कमजोर बना लेती है। और उसका परोक्ष रूप से शोषण होता है। वह चाहकर भी इससे मुक्त नहीं हो पाती है।  

2014

प्रश्न-12. आशय समझाए- ‘माँ ने कहा लड़की होना, पर लड़की जैसी दिखाई मत देना’।

उत्तर- माँ कहती है कि समाज में लड़की को कमजोर समझा जाता है। वह लड़की को सरल होने के साथ शक्तिशाली भी बनने की सीख देती है। कमजोर मानकर उसका शोषण किया जाता है। उन्हें सजावट की वस्तु समझा जाता है। माँ उसे अन्याय करने और सहने दोनों के पक्ष में न रहने की सीख देती है। वह उसे निडर और सबल बनने के लिए कहती है।


प्रश्न-13. ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने लड़की को अपने चेहरे पर रीझने और वस्त्र तथा आभूषणों के प्रति लगाव को मना क्यों किया है?

उत्तर- ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने लड़की को अपने चेहरे पर रीझने और वस्त्र तथा आभूषणों के प्रति लगाव को मना करती है। क्योंकि वस्त्र और आभूषण के लालच में आकर वह अपनी स्वतंत्रता खो देती है। इनके कारण वह घर के बंधनों में बंध जाती है। अपनी सुंदरता पर रीझने से लड़की को लगता है कि अब सब उसका कहना मानेंगे। संसार इनसे नहीं चलता है। उसके लिए व्यक्ति को सूझ-बूझ, धैर्य और निडर से काम करना पड़ता है।


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प्रश्न-14. ‘कन्यादान’ कविता में लड़की की जो छवि प्रस्तुत की गई है। उसे अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- ‘कन्यादान’ कविता में लड़की की  छवि को निम्न प्रकार से प्रस्तुत किया गया है-

(i) कवि ने लड़की को कोमल मन और सरल हृदय वाली बताया है।

(ii) अभी वह सिर्फ सुख और आनंद से परिचित है। दुःख के बारे में उसे ज्ञान नहीं है।

(iii) वह अभी ससुराल वालों के प्रेम, वस्त्र-आभूषण और सुंदरता को ही अपना जीवन मानती है।

(iv) अभी उसे सुखों की कल्पनाओं में खोया दिखाया गया है।

(v) अभी वह समाज के बारे में ठीक से नहीं जानती है।

नोट- कोई दो बिंदु पर्याप्त हैं।  2 अंक के प्रश्न में।


प्रश्न-15. लड़की की विदाई के क्षण माँ के लिए ही विशेषत: अधिक दुखद क्यों होते हैं? ‘कन्यादान’ कविता के आलोक में उत्तर दीजिए।

उत्तर- लड़की की विदाई के क्षण माँ के लिए ही विशेषत: अधिक दुखद होते हैं। क्योंकि वह बेटी के भविष्य को लेकर चिंतित है। उसे पता है जब लड़की ससुराल पहुँचेगी तो उसे कई जिम्मेदारियाँ निभानी पड़ेंगी। अपने सुखों का त्याग करना पड़ेगा। उसने अपनी बेटी को बड़े प्यार से पाला है। वह उसके सबसे निकट रही है। वही उसकी सच्ची सहेली रही है।


प्रश्न-16. वस्त्र और आभूषण स्त्री-जीवन के बंधन क्यों कहे गए हैं?

उत्तर- वस्त्र और आभूषण को स्त्री-जीवन के बंधन कहा गया है क्योंकि जब कोई लड़की इनके मोह में आ जाती है तब वह घर के लोगों के बंधन में बंध जाती है। इन बंधनों के कारण वह किसी से कुछ नहीं कह पाती है। जिससे उसका शोषण होता है। लालच के कारण वह अपने जीवन भर के सुखों का बलिदान दे देती है।


कन्यादान से आए प्रश्न 2010-2020


प्रश्न-17. ‘कन्यादान’ कविता में कवि ने लड़की के भोलेपन और सीधेपन को किन बातों के आधार पर प्रतिपादित किया है?

उत्तर- कविता में लड़की के भोलेपन और सीधेपन को निम्न आधारों पर प्रतिपादित किया गया है-

(i) लड़की अभी सायानी नहीं हुई है वह अभी वह वस्त्र-आभूषण और सुंदर दिखने पर अधिक ध्यान देती है।

(ii) माँ कहती है कि लड़की अभी धुँधले प्रकाश की पाठिका है। अर्थात् अभी वह समाज के बारे ठीक से नहीं जानती है। समाज के सुख पक्ष को ही जानती है। दुखों के बारे में उसे कोई ज्ञान नहीं है।


प्रश्न-18. लड़की को दान में देते समय उसकी माँ को सर्वाधिक कष्ट क्यों होता है? वह उसको अंतिम पूंजी क्यों लगती है?

उत्तर- कविता में लड़की को दान करते समय माँ को अधिक कष्ट इसलिए होता है क्योंकि वह अभी अधिक समझदार भी नहीं है। वह अभी सुखों की कल्पनाओं में खोई रहती है। अब उसे विदा करना पड़ रहा है। माँ को अंतिम पूँजी इसलिए लगती है क्योंकि वह उसे बड़े प्यार से पाल-पोस कर बड़ा करती है। वही उसके सुख-दुःख की सहेली है। वह उसकी बेटी नहीं बल्कि जीवन भर की पूँजी है। जिसे उसने संभाल कर रखा था। अब वह पूँजी उसके हाथों से जा रही है।


प्रश्न-19. ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने क्यों कहा- ‘लड़की होना पर लड़की जैसे दिखाई मत देना’।

उत्तर- ‘कन्यादान’ कविता में माँ बेटी को सीख देती है कि अपने सरल और कोमल स्वभाव को कभी नहीं खोना परन्तु अपना शोषण भी न होने देना। तुम कभी किसी के लोभ-लालच में भी नहीं आना। कठिनाइयों का सामना निडरता से करना। माँ उसे सबल बनने की सीख देती है।

2015

प्रश्न-1. ‘कन्यादान’ कविता में किसके दुःख की बात की गई है और क्यों?

उत्तर- ‘कन्यादान’ कविता में माँ के दुःख की बात की गई है। वह अपनी जिस बेटी को प्राणों से ज्यादा संभाल कर रखती है, विवाह के कारण अब वह अपने पति के घर जा रही है। माँ अब अकेली रह जाएगी। वही उसके सुख-दुःख की सहेली है। कविता में माँ की चिंता और उसकी सीख का चित्रण किया गया है।


प्रश्न-2. ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को क्या-क्या सीखें दी हैं?

उत्तर- माँ ने बेटी को निम्न सीखें दी हैं-

(i) माँ कहती है कि न तो शोषण करना और न ही शोषण अपने ऊपर होने देना।

(ii) जीवन में आने वाली समस्याओं का हिम्मत से सामना करना।

(iii) सुंदरता पर अधिक ध्यान न देना।

(iv) कपड़ों और आभूषणों के लोभ में न आना।

(v) आग से खाना बनाना, कभी हार मानकर आत्महत्या न करना।

(vi) कभी परंपरागत लड़कियों की तरह कमजोर मत होना।

नोट- कोई तीन बिंदु लिखना पर्याप्त हैं।


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प्रश्न-3. ‘कन्या’ के साथ ‘दान’ के औचत्य पर अपने विचार लिखिए।

उत्तर- कन्या के लिए दान की बात करना ठीक नहीं है। दान वस्तुओं का किया जाता है। कन्या कोई वस्तु नहीं है। और न ही वह किसी की गुलाम है। वह भी इंसान है। उसकी भी अपनी पसंद और न पसंद होती है। वह भी खुलकर जीना चाहती है। अब वह स्वयं निर्णय लेने में सक्षम है। इसलिए कन्या के साथ दान करने की बात गलत है।


प्रश्न-4. ‘कन्यादान’ कविता में किसे दुःख बाँचना नहीं आता था और क्यों ?

उत्तर- ‘कन्यादान’ कविता में लड़की को दुःख बाँचना नहीं आता था क्योंकि वह अभी सायानी नहीं थी। परन्तु विवाह के योग्य होने के कारण विदा हो रही थी। वह अभी सामाजिक जिम्मेदारियों को नहीं समझती थी। वह अभी सुखी कल्पनाओं के बारे में ही जानती थी। उसे अभी दुःख प्रकट करना नहीं आता था।


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प्रश्न-5. ‘कन्यादान’ कविता की माँ परंपरागत माँ से कैसे भिन्न है?

उत्तर- ‘कन्यादान’ कविता की माँ परंपरागत माँ से भिन्न है-

 (i) परंपरागत माँ अपनी बेटी को हर परिस्थति में सहन करने की सीख देती है। वहीं कन्यादान की माँ हर परिस्थिति का सामना करने की सीख देती है।

(ii) परंपरागत माँ लड़की को त्याग और शोषण का विरोध न करने की सलाह देती है। वहीं कन्यादान की माँ शोषण का विरोध करने की बात करती है।

(iii) परंपरागत माँ बेटी के कपड़ों और आभूषणों की बात करती है। कन्यादान की माँ इनके लालच से दूर रहने को कहती है।


नोट- दो अंक के प्रश्न में कोई दो बिंदु पर्याप्त हैं।

प्रश्न-6. माँ की सीख में समाज की कौन-सी कुरीतियों की ओर संकेत किया गया है?

उत्तर- माँ की सीख में समाज की निम्न कुरीतियों की ओर संकेत किया गया है-

(i) लड़की का स्वभाव सरल और विनम्र होता है। इसलिए ससुराल वाले उसे कमजोर मानते हैं।

(ii) माँ बेटी को आग के बारे में सीख देती है। जिससे ये पता चलता है कि हमारे समाज में लड़कियों इतना परेशान किया जाता है कि वे जलकर आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाती हैं।


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प्रश्न-7. ‘लड़की होना पर लड़की जैसी दिखाई मत देना’ का क्या भाव है?

उत्तर- ‘कन्यादान’ कविता की माँ बेटी से कहती है कि ‘लड़की होना पर लड़की जैसी दिखाई मत देना’ अर्थात् तुम अपने सरल और विनम्र स्वभाव को कभी मत छोड़ना लेकिन अपना शोषण भी नहीं होने देना। समाज में लड़की को हमेशा से सजावट की वस्तु समझा जाता है। उसे आभूषण और कपड़ों का लालच दिया जाता है। उसके बदले उससे घर के सभी काम करवाए जाते हैं। इसलिए माँ बेटी को इन लालचों से दूर रहने की सलाह देती है।


प्रश्न-8. लड़की अभी सायानी नहीं थी, कवि ने इस संदर्भ में क्या-क्या कहा है?

उत्तर- लड़की अभी सायानी नहीं थी, कवि ने इस संदर्भ में कहा है कि माँ अपनी लड़की का कन्यादान कर रही है। वह लड़की शारीरिक रूप से तो विवाह के योग्य हो गई है। लेकिन अभी बहुत समझदार नहीं है। समाज के बारे में अभी उसे ठीक से जानकारी नहीं है। वह अभी सुखी जीवन की कल्पनाओं के बारे में ही जानती है।


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प्रश्न-9. ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने वस्त्र और आभूषणों को भ्रम और बंधन क्यों कहा है?

उत्तर- कन्यादान कविता की माँ बेटी से कहती है कि वस्त्र और आभूषण के लोभ में आने से तुम भ्रम के बंधन में बंध जाओगी। इसके बदले में तुम्हें घर की सारी जिम्मेदारियाँ सौंप दी जाएँगी। इस तरह तुम्हारा शोषण होगा। तुम इस बंधन से कभी मुक्त नहीं हो पाओगी। इसलिए माँ वस्त्र और आभूषण को भ्रम और बंधन कहती है।

2016

प्रश्न-10. ‘बेटी अभी सायानी नहीं थी’- में माँ की चिंता? ‘कन्यादान’ कविता के आधार पर लिखिए।

उत्तर- ‘कन्यादान’ कविता की माँ की चिंता है कि उसकी बेटी विवाह के योग्य तो हो गई है लेकिन अभी बहुत समझदार नहीं है। वह घर और समाज की जिम्मेदारियों के बारे में सही से नहीं जानती है। वह अभी सुख की कल्पनाओं में ही खोई है। वह ससुराल में कैसे रहेगी? माँ इस बात को लेकर चिंतित है।


प्रश्न-11. ‘कन्यादान’ कविता में बेटी को ‘अंतिम पूँजी’ क्यों कहा गया है?

उत्तर- ‘कन्यादान’ कविता में बेटी को ‘अंतिम पूँजी’ इस लिए कहा गया है क्योंकि माँ अपनी बेटी को जन्म ही नहीं देती बल्कि उसको बड़े प्यार से लालन-पालन के साथ पढ़ाती-सिखाती है। दोनों ही अपने सुख-दुःख की बातें आपस में बाँट लेती हैं। यह उसके लिए बेटी नहीं बल्कि जीवन भर की पूँजी है। जो विवाह के बाद अपने ससुराल चली जाएगी और माँ अकेली रह जाएगी।


प्रश्न-12. ‘कन्यादान’ कविता में वस्त्र और आभूषण को शाब्दिक-भ्रम क्यों कहा गया है?

उत्तर- ‘कन्यादान’ कविता में वस्त्र और आभूषण को शाब्दिक-भ्रम इसलिए कहा गया है क्योंकि इसका लालच देकर लड़कियों को भ्रमित किया जाता है कि उसे सभी बहुत प्रेम करते हैं। वह इसके लोभ में आकर घर की जिम्मेदारियों में बंध जाती है। उसके इसी भोलेपन के कारण उसका शोषण होता है। इसलिए माँ इसके लोभ से दूर रहने की सलाह देती है।


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प्रश्न-13. ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को ऐसा क्यों कहा कि लड़की होना पर लड़की जैसी दिखाई मत देना?

उत्तर- ‘लड़की होना पर लड़की जैसी दिखाई मत देना’ ‘कन्यादान’ कविता की माँ ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि लड़की स्वभाव से विनम्र और सरल होती है। इस कारण उसे कमजोर समझा जाता है। इसी कमजोरी के कारण उसका शोषण किया जाता है। तभी तो माँ उसे निडर और साहसी बनने की सीख देती है।


प्रश्न-14. ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को किस प्रकार सावधान किया? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को सीख देकर निम्न प्रकार से सावधान किया है-

(i) कोई भी तुम्हारी सुन्दरता की कितनी भी तारीफ करे उस पर अधिक ध्यान नहीं देना।

(ii) कभी भी आभूषण और कपड़ों के लालच में न आना। इसके लोभ में आने से तुम बंध जाओगी।

(iii) कोई भी काम हमेशा सोच समझकर ही करना। न तो किसी पर अन्याय करना और न ही अपने ऊपर अन्याय होने देना।


प्रश्न-15. ‘उसे सुख का आभास तो होता था लेकिन दुःख बाचना नहीं आता था’, ‘कन्यादान’ कविता के आधार पर भावार्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- ‘उसे सुख का आभास तो होता था लेकिन दुःख बाचना नहीं आता था’ इसका भावार्थ है कि बेटी सुख के बारे में जानती है लेकिन दुखों के संबंध में उसे कोई अनुभव नहीं है। अर्थात् वह विवाह के सुखमय जीवन की काल्पना करती है परन्तु ससुराल की जिम्मेदारियों से वह अंजान है।

2017

प्रश्न-16. ‘कन्यादान’ कविता में व्यक्त किन्हीं दो सामाजिक कुरीतियों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- कन्यादान कविता की कोई दो कुरीतियाँ इस प्रकार हैं-

(i) लड़की को दहेज़ के लिए इतना परेशान करना कि वह जलकर मरने को  मजबूर हो जाए। जबकि इसके लिए कठोर कानून बना है।

(ii) लड़कियों को सजावट की वस्तु समझना।

 (iv) सायानी होने पर लड़कियों का विवाह करना भले ही वे समझदार न पाएँ लड़कियों ।


प्रश्न-17. ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को अपने चेहरे पर न रीझने की सलाह क्यों दी है?

उत्तर- ‘कन्यादान’ कविता की माँ बेटी को अपने चेहरे पर न रीझने की सलाह देती हुई कहती कि जब कोई तुम्हारी सुन्दरता की प्रशंसा करेगा तो उसके पीछे कोई न कोई कारण अवश्य छिपा रहेगा, जिसके बारे में तुम्हें तुमको पता नहीं होगा। लोग तुम्हारी सुंदरता को कमजोरी समझकर, उसका गलत लाभ लेंगे।


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प्रश्न-18. माँ का कौन-सा दुःख प्रामाणिक था, कैसे?

उत्तर- कन्यादान कविता की माँ जब अपनी बेटी का विवाह करते समय कन्यादान करती है तब उसका जो दुःख दिखाई देता है, वह प्रामाणिक होता है। इस दुःख में किसी भी प्रकार का कोई दिखावा नहीं होता है और न ही स्वार्थ होता। यह वास्तविक होता है।


प्रश्न-19. ‘लड़की जैसी दिखाई मत देना’ यह आचरण अब बदलने लगा है-इस पर अपने विचार लिखिए।

उत्तर- पहले लडकियाँ कमजोर समझी जाती थीं और उनका शोषण होता था। लेकिन अब वे पढ़-लिखकर अपने अधिकार को जानने लगीं हैं। अब लडकियाँ लड़कों से पीछे नहीं हैं। इस युग में वे पुरुषों के साथ कंधा मिलाकर चल रही हैं। आज वे सभी क्षेत्रों में आगे हैं। आज लडकियाँ निडर होकर हर चुनौती का सामना कर रही हैं।


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प्रश्न-20. बेटी को ‘अंतिम पूंजी’ क्यों कहा गया है?

उत्तर- माँ अपनी बेटी को पाल-पोसकर पूंजी की तरह संभालकर रखती है। बेटी माँ के बिना और माँ बेटी के बगैर नहीं रह सकती है। दोनों में बहुत ही लगाव होता है। जब वह विवाह के बाद बेटी अपने ससुराल चली जाएगी तब माँ अकेली रह जाएगी। इसीलिए बेटी को माँ के लिया अंतिम पूंजी कहा गया है।

2018

प्रश्न-21. आपकी दृष्टि में कन्या के साथ दान की बात करना कहाँ तक उचित है ? तर्क दीजिए।

उत्तर- दान वस्तुओं का किया जाता है और कन्या कोई वस्तु नहीं है। जब कन्या का विवाह हो जाता है तब वह अपने जीवन साथी के साथ अपना घर बसाती और उसे संवारती भी है। उसका भी मन है उसकी अपनी इच्छाएँ हैं। वह अपने जीवन के निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है। वह किसी की गुलाम नहीं है। इस दृष्टि से कन्या के साथ दान की बात करना ठीक नहीं है।


प्रश्न-22. ‘कन्यादान’ कविता में व्यक्त किन्हीं दो सामाजिक कुरीतियों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर-समाज की दो कुरीतियाँ इस प्रकार हैं-

1- लड़कियों को आज भी दहेज़ के लिए मजबूर किया जाता है। वे मजबूर होकर आग लगाकर आत्महत्या कर लेती हैं।

2- आज भी पिछड़े क्षेत्रों में लड़कियों का विवाह कम उम्र में कर दिया जाता है।

2019

प्रश्न-23. इस वर्ष ‘कन्यादान’ कविता से कोई प्रश्न नहीं आया।

2020

प्रश्न-24 ‘कन्यादान’ कविता में माँ की सोच परंपरागत माँ से कैसे भिन्न है?

उत्तर- ‘कन्यादान’ कविता में माँ की सोच परंपरागत माँ से इस प्रकार से भिन्न है-

(i) कविता की माँ अपनी बेटी को अन्याय न सहने के लिए कहती है। जबकि परंपरागत माँ हमेशा सहन करने पर जोर देती है।

(ii) कन्यादान की माँ निडर, हिम्मत और साहस का पाठ पढ़ाती है। वहीं परंपरागत माँ दबकर और शक्तिहीन होने का अहसास दिलाती है।

(iii) कन्यादान की माँ अपने ऊपर होने वाले अत्याचार और शोषण के प्रति सावधान रहने की सीख देती है। वहीं परंपरागत माँ चुप रहने की सलाह देती है।

(iv) कन्यादान की माँ समझदारी से जीने और आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। वहीं परंपरागत माँ ध्यान न देने और कमजोर रहने की सीख देती है।

नोट- दो अंक के प्रश्न में कोई दो बिंदु लिखना पर्याप्त है।


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प्रश्न-25. ‘लड़की होना पर लड़की जैसी दिखाई मत देना’- पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- ‘लड़की होना पर लड़की जैसी दिखाई मत देना’- पंक्ति का भाव इस प्रकार है- माँ अपनी लड़की से कहती है कि तुम लड़की की तरह सरल, कोमल, दयालु, स्नेह, करुणा आदि गुणों के व्यवहार करना। लेकिन कठिन समय में निडर होकर मुसीबतों का सामना भी करना। कभी कमजोर साबित न होना।


प्रश्न-26. माँ ने लड़की को कौन-कौन सी सीख दीं ? उनके पीछे क्या कारण था?

उत्तर- माँ ने लड़की को निम्न सीख दीं-

(i) अपने गुणों को मत छोड़ना लेकिन कमजोर भी न बनना।

(ii) जीवन में कितनी भी चुनौतियाँ आएँ उनका सामना करना।

(iii) आग से खाना बनाना उससे कभी जलना नहीं।

(iv) शीशे में अपनी सुंदरता को देखकर कभी गर्व न करना।

(v) वस्त्र और आभूषण के लालच में कभी मत आना ये जीवन को बांध देते हैं।

नोट- दो अंक के प्रश्न में कोई भी दो बिंदु लिखना पर्याप्त है।


Kanyadan Previous Question

कविता Kanyadan Previous Question

Kanyadan Previous Question

फिर मिलेंगे तबतक के लिए धन्यवाद!…………


डॉ. अजीत भारती 

By hindi Bharti

Dr.Ajeet Bhartee M.A.hindi M.phile (hindi) P.hd.(hindi) CTET

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