do bailon ki katha summary
do bailon ki katha summary ? दो बैलों की कथा-प्रेमचंद का सारांश अथवा सार विद्यार्थियों के लिए उपयोगी साबित होगा ।
पाठ-दो बैलों की कथा का सार/सारांश
लेखक के अनुसार गधा एक सीधा और निरापद जानवर है । वह सुख – दुख, हानि-लाभ, किसी भी दशा में कभी नहीं बदलता । उसमें ऋषि-मुनियों के गुण होते हैं, फिर भी आदमी उसे बेवकूफ़ कहता है । बैल गधे के छोटे भाई हैं जो कई रीतियों से अपना असंतोष प्रकट करते हैं ।
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इस कहानी में झूरी काछी(कुशवाहा) के पास हीरा और मोती नाम के दो स्वस्थ और सुंदर बैल थे । वह अपने बैलों से बहुत प्रेम करता था । हीरा और मोती के बीच भी घनिष्ठ संबंध था । एक बार झूरी का साला गया दोनों बैलों को अपने खेतों में काम करने के लिए ले जाता है । वह वहाँ उनसे खूब काम करवाता है लेकिन खाने को रुखा – सूखा भोजन देता था । अत: एक दिन दोनों रस्सी तोड़कर अपने मालिक झूरी के पास भागकर आ जाते हैं । झूरी उन्हें देखकर बहुत खुश होता है l मगर झूरी की पत्नी को उनका भागना पसंद नहीं आया । उसने उन्हें खरी – खोटी सुनाई और केवल उन्हें सूखा – भूसा खाने को देने के लिए कहती है । दूसरे दिन झूरी का साला फिर उन्हें लेने के लिए आ जाता है । इस बार वह दोनों को गाड़ी में ले जाता है रास्ते में मोती ने गाड़ी को कई बार खाई में गिराने की कोशिश की लेकिन हीरा उसे संभाल लेता है l इस तरह दोनों बैल गया को रास्ते में बहुत परेशान करते हैं फिर गया उनसे खूब कम करवाता है और खाने के लिए वही सूखा भूसा ही देता है ।
दो बैलों की कथा प्रश्न-उत्तर mcq
मोती बड़ा गुस्सैल था, हीरा धीरज से काम लेता था । कई बार हीरा ने उसे समझाया । हीरा की नाक पर जब खूब डंडे बरसाए गए तो मोती गुस्से से हल लेकर भागा, पर गले में बड़ी रस्सियाँ होने के कारण पकड़ा गया । कभी – कभी उन्हें खूब मारा – पीटा भी जाता था । इस तरह दोनों की हलत बहुत खराब थी ।
वहाँ एक छोटी – सी लड़की रहती थी । उसकी माँ मर चुकी थी । उसकी सौतेली माँ उसे मारती रहती थी, इसलिए उन बैलों से उसे एक प्रकार की आत्मीयता हो गई थी । वह रोज़ दोनों को चोरी-छिपे दो रोटियाँ खिला देती थी । इस तरह दोनों की दशा बहुत खराब थी । एक दिन उस बालिका ने उनकी रस्सियाँ खोल दी । दोनों भाग खड़े हुए । झूरी का साला और दूसरे लोग उन्हें पकड़ने दौड़े पर पकड़ न सके । भागते-भागते दोनों नई ज़गह पहुँच गए । झूरी के घर जाने का रास्ता वे भूल गए। फिर भी बहुत खुश थे । दोनों ने खेतों में मटर खाई और आज़ादी का अनुभव करने लगे । फिर एक साँड से उनका मुकाबला हुआ । दोनों ने मिलकर उसे मार भगाया, लेकिन खेत में चरते समय मालिक आ गया । मोती को फँसा देखकर हीरा भी खुद आ फँसा । दोनों काँजीहौस में बंद कर दिए गए । वहाँ और भी जानवर बंद थे। सबकी हालत बहुत खराब थी । जब हीरा-मोती को रात को भी भोजन न मिला तो दिल में विद्रोह की ज्वाला भड़क उठी । फिर एक दिन दीवार गिराकर दोनों ने दूसरे जानवरों को भगा दिया । मोती भाग सकता था पर हीरा को बँधा देखकर वह भी न भाग सका ।
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काँजीहौस के मालिक को पता लगने पर उसने मोती की खूब मरम्मत की और उसे मोटी रस्सी से बाँध दिया । एक सप्ताह बाद कँजीहौस के मालिक ने जानवरों को कसाई के हाथों बेच दिया । एक दढ़ियल आदमी हीरा – मोती को ले जाने लगा । वे समझ गए कि अब उनका अंत समीप है । चलते – चलते अचानक उन्हें लगा कि वे परिचित राह पर आ गए हैं । उनका घर नज़दीक आ गया था । दोनों उन्मत्त होकर उछलने लगे और दौड़ते हुए झूरी के द्वार पर आकर खड़े हो गए । झूरी ने देखा तो खुशी से फूल उठा । अचानक दढ़ियल ने आकर बैलों की रस्सियाँ पकड़ ली । झूरी ने कहा कि वे उसके बैल हैं, पर दढ़ियल ज़ोर-ज़बरदस्ती करने लगा । तभी मोती ने सींग चलाया और दढ़ियल को दूर तक खदेड़ दिया । थोड़ी देर बाद ही दोनों खुशी से खली – भूसी – चूनी खाते दिखाई पड़े ।