anuched lekhan class 10 cbse
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भाव पल्लवन/भाव विस्तार का उदाहरण 19
प्रश्न-19.“लोभ सामान्योन्मुख होता है और प्रेम विशेषोन्मुख”। का भाव पल्लवन लिखिए।
उत्तर- “लोभ सामान्योन्मुख होता है और प्रेम विशेषोन्मुख” भाव पल्लवन।
“लोभ सामान्योन्मुख होता है और प्रेम विशेषोन्मुख” का अर्थ है कि लोभ एक ऐसी भावना है जो हर किसी चीज़, वस्तु या व्यक्ति की ओर समान रूप से आकर्षित होती है, जबकि प्रेम का भाव किसी विशेष व्यक्ति या वस्तु के प्रति होता है। लोभ का स्वभाव हमेशा किसी भी वस्तु की अधिकता की ओर आकर्षित होता है, चाहे वह धन हो, प्रतिष्ठा हो, या भौतिक वस्त्र। लोभ की विशेषता यह है कि यह कभी भी सीमित नहीं होता, और इसकी भूख कभी खत्म नहीं होती।
लोभ एक सामान्य भाव है जो किसी विशेष व्यक्ति या वस्तु तक सीमित नहीं रहता। यह केवल व्यक्ति के स्वार्थ पर आधारित होता है और उसे हर उस चीज़ की ओर खींचता है जिससे उसे किसी प्रकार का लाभ प्राप्त हो सके। इसके विपरीत, प्रेम की प्रकृति पूर्णत: विशेषोन्मुख होती है। प्रेम का उद्देश्य निःस्वार्थ भाव से किसी विशेष व्यक्ति या वस्तु के प्रति जुड़ाव और अपनत्व महसूस करना है। उदाहरण के लिए, माता-पिता का अपने बच्चों के प्रति प्रेम होता है, या किसी का प्रकृति के प्रति प्रेम। यह प्रेम केवल एक ही व्यक्ति या तत्व पर केंद्रित होता है और उसमें संपूर्णता का भाव होता है।
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प्रेम की यह विशेषता है कि यह अपेक्षाओं और लाभ की चिंता किए बिना समर्पण का भाव रखता है। यह केवल एक विशेष व्यक्ति या तत्व को समझने, स्वीकारने, और सम्मान देने की भावना है। प्रेम निःस्वार्थ होता है और इससे एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जबकि लोभ इंसान को अपने स्वार्थ और इच्छाओं में उलझा कर अंत में निराशा और दुख की ओर ले जाता है।
अतः, यह कथन हमें सिखाता है कि हमें अपने जीवन में प्रेम को प्राथमिकता देनी चाहिए और लोभ से दूरी बनाए रखनी चाहिए। प्रेम से मन की शांति और संतोष मिलता है, जबकि लोभ व्यक्ति को असंतोष और अशांति की ओर ले जाता है।