anupras alankar
anupras alankar?
अनुप्रास अलंकार – परिभाषा
परिभाषा: जब एक ही वर्ण या अक्षर का बार-बार प्रयोग किसी पंक्ति या वाक्य में मधुरता उत्पन्न करे, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।
👉 मुख्य लक्षण: समान अक्षर/वर्ण की पुनरावृत्ति।
👉 उदाहरण: “छोटे छोटे दीप जले” — यहाँ ‘छ’ अक्षर की पुनरावृत्ति है।
🌼 अनुप्रास अलंकार के 50 उदाहरण
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छोटे-छोटे दीप जले।
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राम रसिक रसना रस प्यारे।
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चंदा चमके चंपा चखे।
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नयन नीर नवल नवनीत।
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गगन में घन घटा घिरी।
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पीपल पात पर पवन पड़े।
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कलकल करता सरिता जल।
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मधुर मुरली मन मोहक।
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कुहू कुहू करती कोयल।
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धरा धैर्य धरती धानी।
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रम्य रजनी रतन रंगीनी।
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सुधा सरीखा स्नेह सदा।
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भोर भई भंवरे बोले।
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मुक्ता माल मनोहर मोती।
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सुगंध सुमन सजे सुंदर।
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जल झलमल झरना झरता।
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बाला बन बसी बसंती।
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मन में मधुर मुरलि बजती।
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शीतल समीर सुखद संचार।
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धूप दमकती दिन दुपहरिया।
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सजल सुमन सुगंधित साँझ।
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मंद मुस्कान मन मोहे।
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हरि हरषित हरि भक्त हृदय।
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बाल बबल बूँद बिखरी।
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सागर सरस स्नेह सलिल।
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नील नभ नव नयन निहारें।
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पवन पावन पुष्प पथिक।
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गिरी गम्भीर गर्जन गूँजे।
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लहर लहर लहराती लहरें।
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सुन सरस सुर सरगम सजी।
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कनक कलश कांति करी।
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फूल फूले फल फलें।
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धन धान्य धरती धाम।
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स्नेह सागर सदा सजीव।
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ममता मधुर मीत मिले।
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शीतल शशि शिखा चमकी।
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कुंज कली कलकंठ कूजे।
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रत्न रश्मि राग रंगीला।
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तरु तृण तट तरंग तोरे।
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सूर सरिता सुधा सरीखी।
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मोर मयूर मन मचलें।
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नील नयन नव नीर नाचे।
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कमल कुसुम कांत कान्त।
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रवि रश्मि रेखा रंजित।
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सिंधु समीर संग सरिता।
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मंगल मय मन्दिर महक।
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वन वायु वसुधा विहँसे।
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प्रभात पुलकित पुष्प पुंज।
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धरती धानी धूप धवल।
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गुंजन करता गूँज गगन।
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