बिना विचारे जो करे, सो पाछे पछताय
बिना विचारे जो करे, सो पाछे पछताय?
4-भाव पल्लवन/भाव विस्तार का उदाहरण
प्रश्न-4. “बिना विचारे जो करे, सो पाछे पछताय” का भाव पल्लवन लिखिए।
उत्तर- कोई भी काम बिना विचारे नहीं करना चाहिये।
विचार के अभाव में कार्य को सही दिशा नहीं मिल पाती है।
विचार करने से कार्य का उद्देश्य सुनिश्चित हो जाता है।
इससे कार्य-संबंधी मज़बूत एवं कमज़ोर पक्ष स्पष्ट हो जाते हैं।
फलतः कार्य की एक रूपरेखा बन जाती है जिससे काम करना आसान हो जाता है।
कार्य की सफलता की संभावना भी मजबूत हो जाती है।
अतः कोई निर्णय करने के पहले खूब सोच-विचार कर लेना चाहिये, जिससे इस निर्णय के प्रभाव को समझा जा सके।
जो व्यक्ति अच्छे-बुरे का विचार कर किसी निष्कर्ष पर पहुँचता है, वह अपने निर्णय से संतुष्ट रहता है।
इसके उल्टा किसी गुस्से में लिये गए निर्णय बाद में पश्चात्ताप का कारण बनते हैं।
इसी तरह बिना विचारे जब किसी काम को किया जाता है तो जानकारी के अभाव में अक्सर उसमें असफलता हाथ लगती है और अंत में पछताना ही पड़ता है।
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5-भाव पल्लवन/भाव विस्तार का उदाहरण
प्रश्न-5.“नर हो न निराशा करो मन को” का भाव पल्लवन लिखिए।
उत्तर- यह सत्य है कि मनुष्य इस संसार का सबसे गुणी और बुद्धिमान प्राणी है,
मनुष्य अपनी बुद्धि एवं कौशल के बल पर इस संसार में महान से महान काम कर अपने साहस और शक्तिशाली होने का परिचय दे चुका है।
वह ऐसा संघर्षशील प्राणी है, जिसने अपनी विकास यात्रा में अनेक कष्टों एवं कठिनाइयों का सामना किया है।
जीवन में अनेक प्रकार की परिस्थितियाँ आती हैं, जिनमें कभी-कभी निराशा और हताशा भी घेर लेती है।
यह पंक्ति हमें प्रेरित करती है कि ऐसी स्थिति में भी हमें अपने मन को निराश नहीं होने देना चाहिए।
मनुष्य के भीतर अपार शक्ति और सामर्थ्य है, जिसे पहचानने और जागाने करने की जरुरत है।
मनुष्य को अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखना चाहिए। आत्मविश्वास ही वह शक्ति है, जो कठिनाइयों को पार करने में सहायक होता है। अगर हम अपने भीतर के साहस और आत्मबल को पहचान लें, तो कोई भी बाधा हमें रोक नहीं सकती।
मुश्किलों से डरने के बजाय उनका सामना करने का साहस रखना चाहिए।
हर कठिनाई हमें कुछ नया सिखाती है और हमें पहले से अधिक मजबूत बनाती है।
निराशा के क्षणों में भी आशा का दामन नहीं छोड़ना चाहिए।
एक सकारात्मक दृष्टिकोण हमें न केवल मानसिक शांति देता है बल्कि हमारी कार्यक्षमता को भी बढ़ाता है।
“नर हो न निराश करो मन” पंक्ति हमें यह सिखाती है कि जीवन में किसी भी परिस्थिति में निराश नहीं होना चाहिए।
हमें अपने मन को मजबूत रखना चाहिए, क्योंकि मन की शक्ति असीम होती है।
आत्मविश्वास, सकारात्मकता, धैर्य, और संघर्ष की भावना से ही हम जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना कर सकते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
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बिना विचारे जो करे, सो पाछे पछताय
दूरके ढोल सुहाने होते https://www.mpboardonline.com/answer/class-12-hindi-general/125.html