पालि भाषा का परिचय दीजिए
पालि भाषा का परिचय दीजिए?
प्रश्न-3.पालि भाषा का परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
अथवा
पालि भाषा का परिचय दीजिए।
अथवा
पालि भाषा का हिंदी में क्या योगदान है?
अथवा
पालि भाषा का हिंदी से क्या संबंध है?
उत्तर- पालि भाषा का परिचय-
पालि भाषा का समय 500 ई.पू. से लेकर 1 ई. तक रहा है।
मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषा में सबसे पहले पालि भाषा का विकास हुआ।
पालि को मागधी भाषा भी कहा जाता है। इस समय आम जनता की भाषा पालि थी।
गौतम बुद्ध ने धर्म का प्रचार करने के लिए पालि भाषा को अपनाया।
इस तरह यह भाषा जन समुदाय और साहित्य दोनों रूपों में विकसित हुई।
पालि भाषा का विकास क्षेत्र पाटिलपुत्र को माना जाता है इसे बौद्ध की भाषा भी कहते हैं।
बौद्ध साहित्य पालि भाषा में लिखा गया है।
इसका विकास मागधी के आधार पर माना गया है।
मालवा और मध्य क्षेत्र में इस भाषा का अधिक प्रचार-प्रसार हुआ है।
पालि बौध धर्म के प्रचार के साथ पूरे भारत की भाषा बन गई।
उस समय इसका अंतराष्ट्रीय महत्व बढ़ गया था।
इसका प्रचार श्रीलंका, चीन, जापान व म्यामार आदि देशों तक फैला था।
महान अशोक के अभिलेख इसके ऐतिहासिक महत्व को प्रतिपादित करते हैं।
गौतम बुद्ध के सभी ग्रंथ इसी भाषा में लिखे गए हैं। पालि भाषा हिंदी का पुराना स्वरुप है।
पालि भाषा की विशेषताएँ-
इसकी विशेषताएँ इस प्रकार से हैं-
1-महात्मा बुद्ध के समय पालि भाषा आम जनता की भाषा थी।
2-पालि भाषा में ऋ, क्ष, त्र, ज्ञ, ऐ, औ अक्षर नहीं हैं।
3-पालि भाषा में तीन लिंग और दो वचन होते हैं।
4-गौतम बुद्ध ने अपने उपदेश पालि भाषा में दिए हैं।
5-हलन्त रूपों का इसमें अभाव रहता है।
6-बलात्मक आघात का प्रयोग पालि भाषा की विशेषता है।
7-इसमें विसर्ग (:) का अभाव है।
8-पालि में दस स्वर होते हैं।
9-पालि भारत की प्रथम देश भाषा है।
10-इसमें द्विवचन नहीं होता है।
11-इसमें छह कारक होते हैं।
12- पालि में तद्भव शब्दों का प्रयोग अधिक और तत्सम एवं देशज शब्दों का प्रयोग कम दिखाई देता है।
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पालि भाषा
डॉ. अजीत भारती