रहस्यवाद और छायावाद में अंतर
रहस्यवाद और छायावाद में अंतर क्या है ?
1-रहस्वाद की विशेषताएँ
2-छायावाद की विशेषताएँ
3-रहस्वाद और छायावाद में अंतर
छायावाद
डॉ.राम कुमार वर्मा- “जब परमात्मा की छाया आत्मा में, आत्मा की छाया परमात्मा में पड़ने लगती है, तभी छायावाद की सृष्टि होती है।”
डॉ.नगेन्द्र- “छायावाद स्थूल के प्रति सूक्ष्म का विद्रोह है।”
महादेवी वर्मा- “छायावाद तत्वतः प्रकृति के बीच जीवन का एक उद्गीथ है।……उसका मूल दर्शन सर्वात्मवाद है।
छायावाद की विशेषताएँ-
- इसमें स्वानुभूति की प्रधानता है।
- इसमें रहस्वाद की प्रवृत्ति रहती है।
- छायावादी काव्य में प्रेम, सौन्दर्य एवं प्रकृति का चित्रण मिलता है।
- इसमें स्थूलता के स्थान पर सूक्ष्मता रहती है।
- छायावाद के शैली एवं अभिव्यंजना में नवीनता दिखाई देती है।
रहस्वाद
आचार्य रामचंद्र शुक्ल- “चिंतन के क्षेत्र में जो अद्वैतवाद है, भावना के क्षेत्र में वही रहस्वाद है।”
नंददुलारे बाजपेयी- “किसी परम् परोक्ष सत्ता की अनुभूति अथवा उससे मिलने की भावना के गीत रहस्वाद है।”
डॉ.श्यामसुन्दर दास- “चिंतन के क्षेत्र का ब्रहम्वाद कविता के क्षेत्र में जाकर कल्पना और भावुकता का आधार पाकर रहस्वाद का रूप पकड़ता है।
रहस्वाद की विशेषताएँ-
- जिज्ञासा का भाव।
- आत्मा का परमात्मा से एकात्म होना।
- परमात्मा से विरह-मिलन की भावना।
- अलौकिक सत्ता के प्रति प्रेम की तीव्रता।
- प्रतीकों का प्रयोग।
रहस्वाद और छायवाद में अंतर
रहस्वाद
- 1-इसमें चिंतन की प्रधानता होती है।
- 2-रहस्वाद में ज्ञान प्रधान होता है।
- 3-यह दार्शनिकता पर आधारित है।
- 4-अज्ञात सत्ता के प्रति प्रणयानुभूति का भाव है।
छायवाद
- 1-इसमें कल्पना की प्रधानता होती है।
- 2-यह भाव प्रधान होता है।
- 3-यह प्रकृति मूलक है।
- 4-अज्ञात सत्ता के प्रति प्रणय भाव है।
छायवादी प्रमुख कवि
1.जयशंकर प्रसाद- कामायनी, आँसू।
2.महादेवी वर्मा- नीरजा, दीपशिखा।
3.सूर्यकांत त्रिपाठी निराला- नए पत्ते, कुकुरमुत्ता।
4.सुमित्रा नंदन पन्त- चिदंबरा, पल्लव।
प्रमुख रहस्वादी कवि
1.कबीरदास- बीजक।
2.जायसी- पद्मावत।
3.महादेवी वर्मा- निहार, नीरजा।