नागार्जुन का परिचय
नागार्जुन का परिचय-ये प्रगतिवाद युग के प्रमुख कवि माने जाते हैं । वे हिंदी और मैथिली के अच्छे कवि और लेखक थे। लोग उन्हेंने बचपन में ठक्कर मिसर कहकर बुलाते थे। इनकी माँ का बचपन में ही स्वर्गवास हो गया था। वे बचपन से अपने पिता के कंधे पर बैठकर घूमते थे। जो बा में उनके जीवन का हिस्सा बन गया। नागार्जुन कई बार किसान आन्दोलन दमा से पीड़ित रहने के कारण उनका जीवन थोड़ा कष्ट में रहा। जबकि उनके दो बेटियाँ और चार बेटे थे। वे हिंदी में नागार्जुन और मैथिली भाषा में यात्री के नाम से लिखते थे।में भाग लेने के कारण जेल भी गए थे। उनकी पहली रचना ‘राम की प्रति’ थी। उन्होंने कहानी, उपन्यास,संस्मरण, यात्रावृत्तांत, निबंध और कविता आदि विधाओं में साहित्य रचा है। बाल-साहित्य में भी उनकी बड़ी रूचि थी।
युगधारा, सतरंगे पंखों वाली, प्यासी पथराई आँखें, पुरानी जूतियों का कोरस आदि उनके लगभग चौदह कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। रतिनाथ की चाची, बलचनमा, बाबा बटेसरनाथ, कुम्भीपाक, वरुण के बेटे आदि लगभग ग्यारह उपन्यास अबतक छप चुके हैं। बाल-साहित्य में कथा मंजरी, मर्यादा पुरुषोत्तम राम आदि हैं। मैथिली भाषा में चित्रा, पारो जैसे प्रसिद्ध रचनाएँ हैं। वे लगभग 68 वर्ष तक साहित्य सेवा करने के बाद इस संसार को करके चले गए।
कवि संक्षेप जीवन परिचय-
- जन्म- सन् 1911 ई.
- मूलनाम- वैद्यनाथ मिश्र
- स्थान- गाँव-सतलखा, जिला-दरभंगा, बिहार
- शिक्षा- आरंभिक शिक्षा संस्कृत पाठशाला में, बाद में पढ़ने के लिए बनारस और कलकत्ता में की।
- रचनाएँ- प्रमुख काव्य- युगधारा, सतरंगे पंखोंवाली, हजार-हजार बाँहों वाली, तुमने कहा था,
पुरानी जूतियों का कोरस, आखिर ऐसा क्या कह दिया मैंने, मैं मिलट्री का बूढ़ा घोड़ा।
सम्पूर्ण रचनाएँ-नागार्जुन रचनावली के सात खण्डों में प्रकाशित है।
- पुरस्कार- हिंदी अकादमी, दिल्ली का शिखर सम्मान, भारत-भारती पुरस्कार एवं राजेंद्र प्रसाद ।
- निधन- सन् 1998 ई.
- विशेष- मातृभाषा मैथिली में वे ‘यात्री’ नाम से लिखते थे।