Utsah Summary
Utsah Summary? यहाँ पर कविता उत्साह को सार (summary) के माध्यम से समझने का प्रयास करेंगे ।
पाठ-उत्साह-सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
पाठ का सार
पद संख्या-1
इस कविता में कवि ने बादलों के माध्यम से मनुष्य के उत्साह का चित्रण किया है। निराला जी को बादल में क्रांति का स्वर सुनाई देता है। इसलिए वे बादलों को आव्हान करते हुए कहते हैं कि- ओ बादल! तुम खूब जोर-जोर से गरजो। तुम अपनी तेज आवाज से पूरे आसमान को घेर लो। तुम्हारे काले और घुँघराले बाल(केश) बहुत ही सुन्दर हैं। ये कल्पना के विस्तार के समान घने हैं। निरालाजी बादलों को एक कवि मानते हैं जो अपने हृदय में बिजली की चमक छिपाए हुए है। फिर वे कहते हैं- हे! बादल रूपी कवि तुम संसार को नया जीवन देने वाले हो। तुम अपने अंदर वज्र छिपाकर पूरे संसार में जोश और क्रांति का स्वर भर दो। हे बादल! तुम खूब गरजो।
पद संख्या-2
जब मई और जून में चिलचिलाती धूप पड़ती है तब पूरी सृष्टि में एक तरह की बेचैनी रहती है। इस गर्मी से राहत तभी मिलती है जब बादल आकर बरसते हैं। इसी प्रसंग को लेकर पद में कवि ने बताया है कि तेज गर्मी के कारण चारो ओर बेचैनी और व्याकुलता दिखाई देती है। सभी लोग अनमने और परेशान हैं। संसार के सभी जन गर्मी से दुखी हैं। तभी आकाश की अज्ञात दिशा से बादल आ जाते हैं। कवि इन बादलों को आव्हान करते हुए कहता है कि- हे बादल! तुम बरस कर गर्म धरती को जल से ठंडा कर दो। जिससे सभी को गर्मी से राहत मिले। हे बादल! तुम खूब गरजो।
इसका भावार्थ- संसार के सभी जन भ्रष्टाचार और अत्यचार से परेशान हैं । तभी न जाने अज्ञात दिशा से कोई आता है और सभी समस्याओं से मुक्ति दिलाता है । वह सभी के दुखों का हरण कर लेता है ।
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Utsah Summary?
डॉ. अजीत भारती