पल्लवन के उदाहरण

चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भजंग?

भाव पल्लवन/भाव विस्तार का उदाहरण

प्रश्न-1.चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भजंगका भाव पल्लवन लिखिए

उत्तर- चंदन के पेड़ पर साँप लिपटे रहते हैं। फिर भी चंदन का पेड़ साँपों के विष(जहर) से प्रभावित नहीं होता। साँपों के लिपटे रहने से अथवा साँपों के संग रहने से चंदन की खुशबू में कोई फर्क नहीं पड़ता। उसी प्रकार से अच्छे स्वभाव के लोग बुरे लोगों के साथ रहने पर भी उससे प्रभावित नहीं होते। वे अपने गुणों से बुरे लोगों को प्रभावित करके उनका जीवन बदल देते हैं। कुल मिलकर अच्छा व्यक्ति किसी भी बुरे व्यक्ति के साथ रहे, वह उसे भी अच्छा बना देता है।  

2- उदाहरण

प्रश्न-2.आवश्यकता आविष्कार की जननी है का भाव पल्लवन लिखिए

उत्तर-मनुष्य की आदिकाल से लेकर वर्तमान तक विकसित होने में आवश्यकताएँ ही रही हैं।

अपनी आवश्यकता को पूरा करने के लिए सभ्य मानव काम के लिए प्रेरित और बाध्य होता है और इस प्रयास में उसे जो अनुभव मिलता है, उसे अगली आवश्यकता पूर्ति में उपयोग करता है। मनुष्य कितनी भी अच्छी अवस्था में पहुँच जाए, उसकी आवश्यकताएँ कभी भी समाप्त नहीं होती हैं।

आदिकाल से वर्तमान काल के बीच के समय में कई आवश्यकताएँ थीं, जिन्हें एक-एक कर प्राप्त कर आज मनुष्य विज्ञान की विकासशील अवस्था में पहुँच गया है।

आज बहुत सुख-साधन हैं उसके बाद भी न तो आवश्यकताओं का अंत हुआ है और न ही मनुष्य की इच्छाएँ समाप्त हुई हैं।

सही बात तो ये है कि आज विज्ञान और तकनीक ने व्यक्तिगत सुख-सुविधा से अलग विकास के कई क्षेत्रों के कई द्वार खोल दिये हैं, जिनसे आवश्यकताओं के दायरे भी अनगिनत हो गए हैं। इसके परिणाम स्वरुप मानव की सक्रियता भी बहुत बढ़ गई है।

रोज नए-नए आविष्कार हो रहे हैं। मानवीय जरूरतें और उनकी पूर्ति के लिए मनुष्य का प्रयास एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है, जो कभी समाप्त होने वाली नहीं है।

अतः यह कथन पूरी तरह से सत्य है कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है।

3- उदाहरण

प्रश्न-3.मन के हारे हार है, मन के जीते जीत का भाव पल्लवन लिखिए

उत्तर-मनुष्य जैसा सोचता है उसका मन वैसा ही काम करता है।

उसके मन में उत्साह का संचार और आशा दोनों ही लक्ष्य पाने के लिए पर्याप्त हैं।

लक्ष्य को पाने के लिए रास्ते में आने वाली  मुसीबतों का सामना करना पड़ता है और मजबूत संकल्प के साथ खड़ा होना पड़ता है।

वैसे जब तक मनुष्य स्वप्रेरित न हो, तब तक दूसरे अवसर भी कारगर साबित नहीं होते और लक्ष्य-प्राप्ति की संभावना कम रहती है।

उदाहरण के लिए मान लो कोई छात्र अंतर्मन से यह मान ले कि सामने वाला परीक्षा में सफल नहीं हो सकता तो अच्छी पुस्तकें एवं अन्य सहायक श्रेष्ठ सामग्री भी उसके लिये बेकार ही साबित होगीं।

इसके उलटा, यदि बड़ी बीमारी से पीड़ित व्यक्ति अंतर्मन से उससे लड़ने की कसम खा ले, तो उसकी जीने की इच्छा उसके अंदर नए जीवन का संचार कर रोग से लड़ने की शक्ति पैदा कर देती है।

कहने का अर्थ यह है कि अंतर्मन से लिया गया संकल्प मानसिक और शारीरिक क्रियाओं को मज़बूती प्रदान करता है, जिनसे जीवन का युद्ध जीतने में सहायता मिलती है।

अतः मनुष्य जीवन के हर क्षेत्र में जीत का सीधा  संबंध शारीरिक और भौतिक क्षमता से कहीं अधिक मानसिक विचार से है।

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By hindi Bharti

Dr.Ajeet Bhartee M.A.hindi M.phile (hindi) P.hd.(hindi) CTET

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