समास परिभाषा भेद उदाहरण

समास-परिभाषा, भेद और उदाहरण

समास -परिभाषा, भेद और उदाहरण ?- नोट- सबसे पहले हम ये जान लेते हैं कि किसी भी नए शब्द को मुख्यतः चार प्रकार से बनाया या निर्माण किया जा सकता है- वे हैं- उपसर्ग, प्रत्यय समास और संधि | CBSE बोर्ड ने नवीन शब्द बनाने के लिए तीन प्रकार माने हैं -उपसर्ग,प्रत्यय और समास |


(पत्र-लेखन –https://hindibharti.in/wp-admin/post.php?post=1132&action=edit)

प्रश्न-1. समास किसे कहते हैं ?

उत्तर- समास शब्द का अर्थ  है -संक्षेप या छोटा रूप | जैसे-

लम्बा +उदर =लम्बोदर = लम्बा है उदार जिसका

                (कम शब्द)⇑ ⇑(अधिक अर्थ)

यों कहें जो कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक अर्थ बताए वही समास होता है|


प्रश्न-2.समास का शाब्दिक अर्थ क्या है ?

उत्तर-समास दो शब्दों से मिलकर बना है–

सम् + आस = समास

सम् का अर्थ है- पास

आस का अर्थ है- बैठाना या रखना

अर्थात्  दो शब्दों को पास – पास बैठाना या रखना या मिलाना|

  • अब आपको समास का अर्थ समझ में आ गया होगा |                                                     

                                                                                                                                                        समास-परिभाषा, भेद और उदाहरण


प्रश्न-3. समास की परिभाषा बताइए ?

उत्तर- उदाहरण:-

विद्या   +   आलय  =   विद्यालय

(पहला पद )  (दूसरा पद ) (नया शब्द)

स्पष्टीकरण:- यहाँ पर पहला पद गंगा है| और दूसरा पद जल है| दोनों शब्दों के मेल से एक नया शब्द बनता है- गंगाजल |

अतः परिभाषा इस प्रकार बनेगी–

परिभाषा:- जब दो या दो से अधिक शब्द मिलकर एक नए सार्थक शब्द का निर्माण करतें हैं, तब यह क्रिया समास कहलाती है|

  • अब आप परिभाषा बनाना सीख गए |

प्रश्न-4.समास के कितने पद होते हैं ?

उत्तर- समास में दो पद होते हैं- प्रथम पद और द्वितीय पद |

  • पहले पद को पूर्व पद और दूसरे पद को उत्तर पद कहते हैं |

चलो इसको उदाहरण से समझते हैं –

उदाहरण-

 देश    +    भक्ति  =  देशभक्ति

⇑प्रथम पद   ⇑द्वितीय पद

    या            या

पहला पद  दूसरा पद

   या           या

पूर्व पद   उत्तर पद


कुछ महत्वपूर्ण बातें-

  • द्वंद्व जैसे समास में पूर्व पद और उत्तर पद के बीच में (-) योजक चिन्ह लगाकर या इस तरह लिखें |

        जैसे- भाई – बहिन |

  • या उन्हें मिलाकर एक करके लिखना चाहिए | जैसे- पंचवटी |
  • इसे (पंच –  वटी) इस तरह लिखना गलत माना जाता है |

अब आपने पद समझ लिए हैं |         

                                                                                                                              


प्रश्न-5. समास विग्रह किसे कहते हैं ?

उत्तर- समस्त पद को अलग – अलग करना ही समास विग्रह कहलाता है|

जैसे- नीलकमल  =  नीला + कमल = नीला  है  जो  कमल  (समास विग्रह)

  • अब समास विग्रह भी आपने जान लिए|

प्रश्न-6. समास की विशेषताएँ लिखिए ?

उत्तरसमास की विशेषताएँ इस प्रकार हैं–

1-समास में दो पदों का योग होता है |

2-दो पद मिलकर एक पद का रूप धारण कर लेते हैं|

3-दो पदों के विभक्ति का लोप हो जाता है |

4समास का विलोम व्यास होता है |

5-समास में यण संधि है |

 


प्रश्न-7. समास के कितने प्रकार होते हैं ?

उत्तर- समास के छह प्रकार होते हैं-

1 अव्ययी भाव समास

2- तत्पुरुष समास

3- कर्मधारय समास

4- द्विगु समास

5- द्वंद्व समास

6- बहुव्रीहि समास

 


1-अव्ययीभाव समास-

परिभाषा-जिस समस्त पद का पहला पद अव्यय व प्रधान होता है तथा समस्त पद अव्यय का काम करता है, तो उसे अव्ययी भाव समास कहते हैं| जैसे–

समस्त पद  पूर्व पद   उत्तर पद   विग्रह 

प्रत्येक         प्रति         एक          हर एक 

निडर            नि          डर          बिना डर 

आजीवन     आ          जीवन      जीवन पर्यंत 

यथाशक्ति   यथा      शक्ति    शक्ति के अनुसार

                                                                                                                                                                                                                                                                                     समास – विकिपीडिया

2-तत्पुरुष समास-

तत्पुरुष समास की परिभाषा- जिस समस्त पद का दूसरा पद प्रधान होता है तथा दोनों पदों के बीच(मध्य) में विभक्ति चिन्हों का लोप हो जाता है, उसे तत्पुरुष समास  कहते हैं |

जैसे – ग्रामगत = ग्राम को गया हुआ 

स्पष्टीकरण- ग्राम+गत दो शब्दों को आपस में जोड़ने पर ग्रामगत समास बनता है ,तब  इसका करक चिन्ह को गायब रहता है, और जैसे ही इसका विग्रह करते हैं, ‘ग्राम(गाँव) को गया’ तो वैसे ही ‘को’ कारक चिन्ह सामने आ गया | यही इसकी विशेषता कि तत्पुरुष समास बनाते समय कारक चिन्ह गायब हो जाता है| और विग्रह करने पर कारक चिन्ह सामने प्रकट हो जाता है | जैसेग्रामगत = ग्राम को गया हुआ

 


कारक चिन्ह- तत्पुरुष समास में कर्ता और संबोधन कारक का प्रयोग नहीं होता,

  शेष अन्य छह कारकों का ही समास में प्रयोग होता है |

क्रमांक कारक का नाम चिन्ह
01    कर्ता      ने  
02    कर्म    को
03    करण     से (के द्वारा )
04    सम्प्रदान    के लिए
05    अपादान    से (पृथक या अलग करना )
06    संबंध   का, की, के, रा, री, रे
07    अधिकरण   में, पर, ऊपर
08    संबोधन     हे!, अरे!, ओ!

जैसे-

समस्त पद   पूर्व पद   उत्तर पद      विग्रह 

विद्यालय    विद्या    आलय     विद्या के लिए आलय

जन्मांध       जन्म     अंधा       जन्म से अंधा 

जलधारा      जल      धारा        जल की धारा

युधवीर       युद्ध       वीर          युद्ध में वीर                                                                                                               

गंगातट      गंगा       तट          गंगा का तट

सवारीगाड़ी    सवारी     गाड़ी     सवारी के लिए गाड़ी


तत्पुरुष समास के बारे में हमने निम्न बातें सीखीं-

1- इसमें दूसरा पद प्रधान होता है |

2- दोनों पदों के मध्य कारक चिन्हों का लोप रहता है|

3- इसे कारक तत्पुरुष समास भी कहते हैं|

4- कर्ता और संबोधन को छोड़कर शेष छह कारकों (कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, संबंध, अधिकरण) की विभक्तियों का प्रयोग किया जाता है|

 


तत्पुरुष समास के भेद-  

तत्पुरुष समास के दो भेद होते हैं-

1- समानाधिकरण तत्पुरुष- (i)-कर्मधारय समास  (ii)द्विगु समास 

2- व्याधिकरण तत्पुरुष- इसके छह भेद हैं (कारक तत्पुरुष समास) |

 


3- कर्मधारय समास-

परिभाषा- जिस समस्त पद का पहला पद उपमान या विशेषण हो तथा दूसरा पद उपमेय या विशेष्य हो, उसे कर्मधारय समास कहते हैं

जैसे- 1-नील   +  गाय   = नीली है जो गाय

      विशेषण     विशेष्य

  2-चन्द्र + मुख = चंद्रमा के समान मुख

उपमान   उपमेय

नोट- यदि विशेषण पदों को दोहराया जाए हो तो भी वहाँ पर कर्मधारय समास होगा|

जैसे- लाल – लाल, सफ़ेद – झक्क |

समस्त पद      पूर्व पद      उत्तर पद       विग्रह 

चन्द्रमुख         चन्द्र         मुख          चंद्रमा के समान मुख

नीलकमल      नीला         कमल         नीला है जो कमल

महात्मा          महान        आत्मा        महान है जो आत्मा

महाविद्यालय    महान    विद्यालय    महान जो विद्यालय                                                                                           

 


4-द्वंद्व समास-

परिभाषा-  जिस समस्त पद में दोनों पद प्रधान हों, वहाँ द्वंद्व समास होता है |

जैसे-

1-लाभ- हानि = लाभ और हानि

द्वंद्व समास के बारे में निम्न बातें सीखीं-

1- मध्य गिनती के अंक द्वंद्व समास में आते हैं जैसे- चौबीस= चार और बीस |

2- द्वंद्व समास एक – दूसरे के विलोम या विलोम जैसे भी हो सकते हैं |

समस्त पद      पूर्व पद     उत्तर पद     विग्रह 

माता – पिता =माता  पिता  ⇒माता और पिता

रात – दिन = रात       दिन⇒ रात और दिन

गंगा – यमुना = गंगा  यमुना ⇒गंगा और यमुना

वेद-पुराण = वेद       पुराण ⇒वेद और पुराण

लव –कुश = लव     कुश ⇒लव और कुश

देश – विदेश =देश    विदेश ⇒देश और विदेश

 


5-द्विगु समास-

परिभाषा- जिस समास (समस्त पद ) का पहला पद संख्यावाची हो तथा समस्त पद समूह या समाहार या समुदाय का बोध कराता है, उसे द्विगु समास कहते हैं |

जैसे-

1-पंचवटी = पञ्च वटों  का समूह

2-तिरंगा= तीन रंगों का समाहार

3-पंचतंत्र = पांच तंत्रों का समाहार

4-अठन्नी = आठ आनों का समूह

5-नवरत्न=नौंरत्नों का समूह

6-नवग्रह=नौं ग्रहों का समूह

7-त्रिफला=तीन फलों का समूह

 


6-बहुव्रीहि समास-

परिभाषा- जिस समास का तीसरा पद प्रधान होता है, उसे बहुव्रीहि समास कहतें हैं |

या

जिस समास में न पहला पद प्रधान होता है, न ही दूसरा पद प्रधान होता है बल्कि अन्य(तीसरा) पद प्रधान होता है, वहाँ बहुव्रीहि समास होता है|

समस्त पद      पूर्व पद     उत्तर पद     विग्रह 

1-नीलकंठ = नीला है कंठ जिसका (शिव जी )

चक्रधर = चक्र धारण करने वाला (कृष्ण जी )

3-दशानन =दस हैं मुख जिसके(रावण)

लम्बोदर =लम्बा है उदर जिसका(गणेशजी )

5-चारपाई = चार हैं पाये जिसमें अर्थात (खाट )

6-पीताम्बर = पीले वस्त्र हैं जिसके अर्थात (कृष्ण)

 


समास-परिभाषा, भेद और उदाहरण   (अनुच्छेद लेखन  की लिंक_ https://hindibharti.in/wp-admin/post.php?post=1095&action=edit)

डॉ.अजीत भारती

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