वन का संकट
वन का संकट?
प्रायोजना कार्य -4 2022-23
प्रश्न-4.पानी का संकट वर्तमान स्थिति में बहुत गहराया हुआ है। इसी तरह के पर्यावरण से सम्बद्ध अन्य किसी एक संकट के बारे में लगभग 150 शब्दों में लिखिए।
उत्तर- वन संकट
पानी संकट की तरह और भी कई पर्यावरण से संबंधित संकट हैं जैसे- शुद्ध वायु, बंजर भूमि संकट, ओलावृष्टि, ताप मान में वृद्धि, घटते जंगल और वन आदि।
जिस प्रकार सृष्टि के लिए वायु और जल आवश्यक है उसी प्रकार वन भी महत्वपूर्ण हैं। आज हम वन संकट पर अपने विचार रखेंगे। वन हमारे देश की मूल्यवान संपत्ति है। वन पर्यावरण का एक मुख्य अंग है। वनों से मनुष्य को भोजन, ईंधन, इमारती लकड़ी एवं जड़ीबूटियाँ मिलती हैं। साथ ही ये जलवायु को नियंत्रित करते हैं और मिट्टी को कटने से रोकते हैं।
वन जीव-जंतुओं को संरक्षण देते हैं। अगर इनकी कटाई आवश्यकता से अधिक न हो तो वह हानिकारक नहीं होती है। लेकिन अगर वनों की कटाई अधिक होती है तो पर्यावरण का संतुलन बिगड़ने लगता है। इसलिए अधिक से अधिक वन लगाने चाहिए।
आधुनिकता के कारण वनों की संख्या कम होती जा रही है, जिनके कारण हम अपना भविष्य अंधकार में डाल रहे हैं।
प्रायोजना कार्य 3 म.प्र.बोर्ड कक्षा 12
एक समय पृथ्वी का स्थल भाग 70% था। जिस पर लगभग 12 अरब 80 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर वन थे। जो आज 2 अरब हेक्टेयर भूमि पर वन रह गए हैं। और लगातार उसमें कमी भी आ रही है।
वनों का विनाश कृषि भूमि के लिए वनों को काटना, अनियंत्रित पशुचारण, सूखा, बाढ़ तथा जंगलों में आए दिन आग लगती रहती है, जिसके कारण वन नष्ट होते रहते हैं। 1985 में ट्रापिकल फारेस्ट एलान प्लान, FAO, UNDP, विश्व बैंक तथा अनेक सरकारों और गैर-सरकारी संस्थाओं ने वनों के संरक्षण के प्रति चेतना प्रदर्शित की है।
विश्व के लगभग 60 से भी अधिक देशों ने ‘राष्ट्रीय वन कार्य योजना’ तैयार कर ली है और उसके लिए उपाय भी खोजने शुरू कर दिए हैं।
वास्तव में वन संरक्षण के लिए भारत में चिपको आन्दोलन को जन आन्दोलन बनाना आवश्यक है। सामान्य जनता, क्षेत्रीय लोग एवं सरकार के प्रयासों से वनों को काटने से रोका जा सकता है। तभी हम वनों का सही अर्थों में संरक्षण कर सकते हैं।