मानवीय करुणा की दिव्य चमक
मानवीय करुणा की दिव्य चमक–किसे कहा गया है? फादर कामिल बुल्के को कहा गया है। इसका अर्थ होता है दयालु हृदय । फादर बुल्के बेल्जियम से पादरी बनकर भारत आए । वे यहाँ की संस्कृति में रच बस गए | और पूरा जीवन भारत को समर्पित कर दिया । यहाँ उन्होंने हिंदी सीखी और बाद में हिंदी में ही शोध कार्य भी किया ।(अगर आप फादर कामिल बुल्के में जानकारी चाहते हैं तो इस लिंक को क्लिक करें-https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%B2_%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A5%87)
प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न-1.फ़ादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी ?
उत्तर-1. देवदार का वृक्ष आकार में बड़ा और हरा – भरा रहता है। उसकी छाया में आकर मनुष्य सुख का अनुभव करता है। फ़ादर कामिल बुल्के अपने परिचितों से अच्छा संबंध बनाकर रखते थे। वे सबके सुख – दुख में हमेशा साथ देते थे। इस लिए फादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसे लगती थी ।
प्रश्न-2. फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग हैं, किस आधार पर ऐसा कहा गया है?
उत्तर-2. फादर बुल्के बेल्जियम से हैं। वे भारत में आकर यहाँ की मिट्टी और संस्कृति में रच बस गए हैं। जब उनसे पूछा जाता है कि आपको अपने देश की याद नहीं आती है ? तो कहते हैं-मेरा देश अब भारत ही है| उन्होंने भारत को पूरी तरह से अपना लिया है|
उन्होंने यहाँ रहकर हिंदी सीखी। उसके बाद हिंदी में ‘राम-कथा के उदभव और विकास’ पर शोध कार्य भी किया। अंग्रेजी–हिंदी के नाम से कोश(डिक्शनरी) भी बनाया है। वे भारत के पर्व और त्यौहारों पर सभी के यहाँ जाते थे। इन सब कारणों से उन्हें भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग कह सकते हैं।
प्रश्न-3. पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे फ़ादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है ?
उत्तर-3. फादर बुल्के ने सबसे पहले हिंदी सीखी । उसके बाद इलाहबाद से हिंदी में एम.ए, किया । फिर प्रयाग विश्वविद्यालय से ‘रामकथा: उत्पत्ति और विकास’ विषय पर शोध कार्य किया । बाद में सेंट जेवियर्स कॉलेज राँची में हिंदी विभाग के अध्यक्ष बने । वे हिंदी भाषा और साहित्य की गोष्ठियों में भाग लेते। ‘परिमल’ नाम की संस्था से जुड़े। वे लेखकों से हिंदी रचनाओं पर चर्चा करते थे। उन्होंने “ब्लू-बर्ड” नाटक का हिंदी में “नील-पंछी” के नाम से अनुवाद किया। साथ ही बाइबिल का भी अनुवाद किया। फादर बुल्के ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनवाने के लिए बहुत प्रयास किए हैं। लेकिन हिंदी वालों से हिंदी की उपेक्षा पर दुखी हो रहते थे।
प्रश्न-4.इस पाठ के आधार पर फ़ादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-4.फादर कामिल बुल्के ईसाई पादरी थे। इस लिए वे हमेशा एक सफ़ेद चोगा पहने रहते थे। उनका रंग गोरा था। चेहरे पर भूरी दाढ़ी और आँखें नीली थीं। वे भारत को ही अपना देश मानते थे। और यहीं की संस्कृति में रच बस गए थे। उनके मन में परिचितों के प्रति बहुत प्रेम था। वे अपने प्रिय जनों को स्नेह, सहारा और करुणा से भर देते थे। वे अपनों के सुख – दुःख का हमेशा ध्यान रखते थे। रिश्ता बनाते थे, तो तोड़ते नहीं थे। उनके व्यक्तित्व में मानवीय करुणा की दिव्य चमक थी।
प्रश्न-5. लेखक ने फ़ादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक‘ क्यों कहा है?
उत्तर-5.लेखक का फादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ कहने का कारण यह है कि वे अपने सभी परिचितों के प्रति लगाव और अपार स्नेह रखते थे । वे हृदय से सरल थे । वे अपनों के हर दुख में साथ खड़े नजर आते थे और सुख में बड़ों की तरह चिंता करते थे। उन्होंने लेखक के बेटे के मुख में पहला अन्न डाला था और उसकी मृत्यु पर बहुत दुखी हुए थे। लोगों का कष्ट उनसे कभी देखा नहीं जाता था।
प्रश्न-6.फ़ादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नयी छवि प्रस्तुत की है, कैसे ?
उत्तर-6. जो संन्यासी होते हैं, उनका जीवन – शैली आम लोगों से थोड़ा अलग होता है। वे संसार की मोह – माया से दूर रहते हैं। फादर बुल्के एक ईसाई पादरी हैं। वे पारंपरिक पादरियों से भिन्न थे। संन्यासी होते हुए भी अपने परिचितों से बहुत लगाव रखते थे। वे उनके सुख – दुख में शामिल होते थे। उनके घर आते-जाते थे। पर्व और उत्सव पर सबसे मिलने जाते थे। इस दृष्टि से हम कह सकते हैं फ़ादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नयी छवि प्रस्तुत की है।
प्रश्न-7. आशय स्पष्ट कीजिए-
(क)नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है|
उत्तर-7 (क). उक्त पंक्तियों का आशय यह कि फादर कामिल बुल्के की मृत्यु पर रोने वाले परिचित, प्रियजन और मित्रों की संख्या बहुत थी। जिसे गिना नहीं जा सकता है। उनके बारे में लिखना सिर्फ स्याही को बरबाद करना है।
प्रश्न-7. आशय स्पष्ट कीजिए-
(ख) फ़ादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनने जैसा है।
उत्तर-7(ख)- इस पंक्ति का आशय है कि जब हम फादर बुल्के को याद करते हैं तो उनका स्नेह, करुण और शांत व्यक्तित्व हमारी आँखों के सामने आ जाता है। जिस प्रकार एक उदास शांत संगीत को सुनते समय मन दुख में डूब जाता है। उसी प्रकार उनको याद करते समय हमारे मन में एक उदासी छा जाती है ।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न-8. आपके विचार से बुल्के ने भारत आने का मन क्यों बनाया होगा ?
उत्तर-8. मेरे विचार से फादर बुल्के ने भारत के गौरवपूर्ण इतिहास और संस्कृति के बारे में जाना और समझा होगा। वे भारत के ऋषियों – मुनियों, संतों, जीवन – दर्शन, त्यागों, प्रेम, अहिंसा और विवेकानंद जैसे महान पुरुषों से प्रभावित हुए होंगे। उसके बाद उन्होंने भारत आने का मन बनाया होगा
प्रश्न-9.’बहुत सुंदर है मेरी जन्मभूमि- रेम्सचैपल।‘- इस पंक्ति में फ़ादर बुल्के की अपनी जन्मभूमि के प्रति कौन-सी भावनाएँ अभिव्यक्त होती हैं? आप अपनी जन्मभूमि के बारे में क्या सोचते हैं ?
उत्तर-9. इस कथन से फादर बुल्के का अपनी जन्मभूमि के प्रति लगाव व प्रेम प्रकट होता है। प्रेम के कारण ही वे अपनी जन्मभूमि को याद करते थे।
मैं भी अपनी जन्मभूमि भारत से बहुत प्रेम करता हूँ। यह धरती हमारी माँ है। यहाँ पर मेरा जन्म हुआ है। यहीं की मिट्टी में खेल कर हम बड़े हुए हैं। मुझे यहाँ की सभी चीजों से गहरा लगाव और प्रेम है। मैं संकल्प लेता हूँ कि कभी अपने देश को अपने कामों से झुकने नहीं देंगे। मुझे अपनी मातृभूमि पर गर्व है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करूँगा कि अगला जन्म मेरा इसी पवित्र भूमि पर हो।
भाषा-अध्यन
प्रश्न-12.निम्नलिखित वाक्यों में समुच्यबोध छाँटकर अलग लिखिए-
(क) तब भी जब वह इलाहाबाद में थे और तब भी जब वह दिल्ली आते थे |
उत्तर-क. और
(ख) माँ ने बचपन में ही घोषित कर दिया था कि लड़का हाथ से गया।
उत्तर-ख. कि
(ग) वे रिश्ता बनाते थे तो तोड़ते नहीं थे |
उत्तर-ग. तो
(घ) उनके मुख से सांत्वना के जादू भरे दो शब्द सुनना एक ऐसी रोशनी से भर देता था जो किसी गहरी तपस्या से जनमती है।
उत्तर-घ. जो
(ङ) पिता और भाइयों के लिए बहुत लगाव मन में नहीं था लेकिन वो स्मृति में अकसर डूब जाते।
उत्तर-ड. लेकिन
(आप लखनवी अंदाज के प्रश्न -उत्तर के लिए इस क्लिक करें-https://hindibharti.in/wp-admin/post.php?post=630&action=edit)
आप हमेशा खुश रहें
आज के लिए इतना ही
धन्यवाद !
मानवीय करुणा की दिव्य चमक