प्रेमचंद की भाषा शैली
प्रेमचंद की भाषा शैली? यहाँ पर मध्य- प्रदेश की कक्षा 9वीं विषय हिंदी की पाठ्यपुस्तक
प्रश्न-प्रेमचंद का साहित्यिक परिचय निम्न बिन्दुओं के आधार पर लिखिए।
- दो रचनाएँ
- भाषा और शैली
- साहित्य में स्थान
उत्तर-प्रेमचंद का साहित्यिक परिचय अथवा भाषा-शैली
1-दो रचनाएँ- गोदान, गबन।
2-भाषा- प्रेमचंद ने हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अपना कदम उर्दू लेखन से शुरू किया था। उन्होंने अपनी रचनाओं में बोलचाल की भाषा में उर्दू शब्दों का प्रयोग करके नई परम्परा शुरू की थी। बीच-बीच में संस्कृत के शब्दों का भी प्रयोग दिखाई देता है। पात्रों के अनुकूल भाषा का सुंदर प्रयोग मिलता है । भाषा को प्रभावशाली बनाने के लिए मुहावरों और लोकोक्तियों का प्रयोग दिखाई देता है । प्रेमचंद की कहानियों और उपन्यासों में ग्रामीण शब्दावली का कहीं-कहीं पुट दिखाई देता है। उनकी भाषा में मनमोहक संयोग दिखाई पड़ता है। लोकभाषा को उन्होंने साहित्यिक भाषा बनाया।
3-शैली- लेखक ने शैली को विषय के अनुरूप अपनाया। आपकी रचनाओं में भावात्मक, विवेचनात्मक, वर्णनात्मक, हास्य-व्यंग्य एवं मनोवैज्ञानिक शैली का प्रयोग बहुत मिलता है। वे मानव-मन में उठ रहे मनोभावों को प्रकट करने में बहुत कुशल हैं। प्रेमचंद बड़े से बड़े विषय को सरल ढंग से प्रकट कर देते हैं। इनकी शैली की विशेषता प्रभावशीलता है।
4-साहित्य में स्थान- प्रेमचंद को हिंदी उपन्यास का सम्राट कहा जाता है। उन्हें युग प्रवर्तक भी कहते हैं। हिंदी कहानी और उपन्यास में प्रेमचंद जी का बड़ा योगदान रहा है। आपने ग्रामीण और नगरीय समाज का सुंदर चित्रण किया है। आपको साहित्य जगत हमेशा याद करेगा।