गिलहरी का चक्कर

गिलहरी का चक्कर?

पार्ट-1 

एक दिन की बात है, एक छोटी सी गाँव के किनारे एक जंगल में एक प्यारी सी गिलहरी रहती थी। उसका नाम छोटू था। छोटू बहुत ही खुश रहता था और हर किसी को हंसाता रहता था। उसकी मिठास से लोगों को बहुत पसंद आती थी।

एक दिन, छोटू ने सुना कि जंगल में एक रहस्यमय पुराना मंदिर है जिसमें एक अनमोल रत्न छुपा है। लोग कहते हैं कि जिसने भी वहां जाकर रत्न को हासिल किया है, उसे बहुत भाग्यशाली माना जाता है।

छोटू ने तुरंत तय किया कि वह उस मंदिर की खोज करेगा। उसने अपने दोस्तों को बताया और सभी मिलकर मंदिर की ओर बढ़ गए।

पार्ट-2 

रात के अंधेरे में, छोटू और उसके दोस्त मंदिर की खोज में निकले। रास्ते में, वे अनजाने में एक गहरे खाई में गिर गए। छोटू की गिलहरी दोस्तें चिंगारी चिला रही थीं, लेकिन छोटू को लगा कि उसका सफलता से कोई रिश्ता हो सकता है।

गहरे खाई में छोटू ने एक चमकते हुए आभूषण को देखा। वह बहुत खुश हुआ और उसने आभूषण को बचाने के लिए कोशिश की। वह अच्छी तरह से जिम्मेदारी संभालते हुए उसे निकालने में सफल हुआ।

लेकिन, जैसे ही छोटू ने आभूषण को हाथ में लिया, एक ध्वनि सुनाई दी – “रुको!”

छोटू ने तेजी से देखा कि वहां एक राजा शेर खड़ा है जो आभूषण की रक्षा कर रहा है। राजा शेर ने छोटू को बताया कि वह जिम्मेदार गिलहरी बन गया है जो इस मंदिर की सुरक्षा करता है। उसने कहा, “तुमने इस कठिनाई को पार करके दिखा है, तुम अब इस मंदिर के रक्षक बनोगे।”

पार्ट-3 

इस घड़ी में, छोटू ने समझा कि जिंदगी में हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए और जिम्मेदारी का सीधा मतलब यह नहीं होता कि हमें खुद को साबित करना हो, बल्कि इससे हमें अपने आत्मविश्वास को मजबूत करने का एक अद्वितीय अवसर मिलता है।

आखिर में, गिलहरी का नाम बदल गया और उसे “रक्षक छोटू” कहा जाने लगा। इस कथा से हमें यह सिखने को मिलता है कि जिंदगी में किसी भी समय हमें अच्छी तरह से तैयार रहना चाहिए, क्योंकि अचानक आने वाले रोमांच से ही हमारा सच्चा आत्मविश्वास बनता है।

आखिरकार, इस कथा का नाम है “रक्षक छोटू – रहस्यमय मंदिर का पत्थर”।


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By hindi Bharti

Dr.Ajeet Bhartee M.A.hindi M.phile (hindi) P.hd.(hindi) CTET

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