CBSE अट नहीं रही है

CBSE अट नहीं रही है  ?  इस पाठ के कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला जी हैं | उन्होंने ने कविता में फागुन माह अर्थात् होली के समय के सौन्दर्य का  चित्रण किया है | इस माह में सम्पूर्ण पृथवी प्रकृति के सौन्दर्य(जैसे-पेड़-पौधे, नदी-झरना, फल-फूल, पर्वत-पहाड़, जीव-जंतु , समुद्र और धरती -आकाश आदि ) से सजी रहती है | उसी प्राकृतिक सौंदर्य का इस कविता में वर्णन किया है | उन्होंने बताया है कि यह सौंदर्य चारो ओर बिखरा पड़ा है | जो घर और उसके बहार दिखाई पड़ता है | आगे कवि कहते हैं- ये सौन्दर्य कहीं भी समा नहीं रहा है | ‘अट नहीं रही है’ कविता के यहाँ पर महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर प्रस्तुत किये जा रहे हैं –

अट नहीं रही है

 

 

 


पाठ-अट नहीं रही है – सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’


प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न-1.छायावाद की एक खास विशेषता है अन्तर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है? लिखिए।
उत्तर:- कविता की निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़कर अन्तर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाने की धारणा पुष्ट होती है-

आभा फागुन की तन
सट नहीं रही है।

कहीं साँस लेते हो,
घर घर भर देते हो,
उड़ने को नभ में तुम,
पर पर कर देते हो।
यह पंक्तियाँ फागुन और मानव मन दोनों के लिए प्रयुक्त हुई हैं।
                                                                                                                                                                                                                                                                                     


प्रश्न-2.कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है ?

उत्तर- फागुन का मौसम तथा दृश्य बहुत ही मतवाला और  मनमोहक होता है। चारों तरफ हरा – भरा दिखाई दे रहा है। पेड़ों पर कहीं हरी तो कहीं लाल पत्तियाँ हैं, रंग-बिरंगे फूलों  की मंद – मंद खुशबू हृदय को मंत्रमुग्ध कर लेती है। इसीलिए कवि की आँख फागुन की सुंदरता से हट नहीं रही है।    


प्रश्न -3.प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया है ?

उत्तर- अट नहीं रही हैकविता में कवि ने प्रकृति की सुंदरता की व्यापकता का वर्णन कई प्रकार से किया है। फागुन के मौसम में पेड़-पौधे नए-नए पत्तों, फल और फूलों से लदे रहते हैं, हवा सुगन्धित हो उठी है, खेत- खलिहानों, बाग़-बगीचों, जीव-जन्तुओं, पशु- पक्षियों एवं चौक-चौबारों में फ़ागुन का उल्लास सहज ही दिखता है। प्रकृति के कण – कण में सौन्दर्य भर गया है।


प्रश्न-4.फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है    

उत्तर-फागुन में वातावरण बहुत ही सुहावना होता है। धरती पेड़पौधों से सज जाती है। वे नए पत्तों, फल और फूलों से लद जाते हैं, हवा में खुशबू घुल जाती है। आकाश साफ-स्वच्छ होता है। पक्षियों के समूह आसमान में उड़ते दिखाई देते हैं। बाग-बगीचों और पक्षियों में उल्लास भर जाता हैं। इन्हीं विशेषताओं के कारण फागुन का सौंदर्य बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है।


प्रश्न-5. इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य – शिल्प की विशेषताएँ बताएँ।

उत्तर:-सूर्यकान्त त्रिपाठी निरालाजी छायावाद के प्रमुख कवियों में से एक हैं। निराला जी के काव्य-शिल्प की विशेषताएँ इस प्रकार हैं-

1.प्रकृति का मानवीकरण-इस कविता में कवि ने प्रकृति को मनुष्य की  तरह क्रियाकलाप करते हुए चित्रित किया है । जैसे-कहीं साँस लेते हो।

2.प्रकृति चित्रण-निराला जी ने प्रकृति-चित्रण द्वारा अपने मन के भावों को प्रकट किया है। उन्होंने फागुन के मौसम में फूलों के माध्यम से मन की उमंग और मस्ती का चित्रण किया है। जैसे- घर-घर भर देते हो।


        रचना और अभिव्यक्ति (अट नहीं रही है के प्रश्न उत्तर)


  प्रश्न-6. होली के आसपास प्रकृति में जो परिवर्तन दिखाई देते हैं, उन्हें लिखिए ।

उत्तर:- होली का त्यौहार फागुन महीने में आता है। होली के समय न अधिक गर्मी होती है और न ही अधिक सर्दी। होली के समय चारो ओर का वातावरण हराभरा दिखाई देता है। पेड़-पौधे हरे और लाल पत्तों से लदे रहते हैं। चारो तरफ़ रंग-बिरंगे फूलों की खुशबू हवा में घुलकर पूरे वातावरण को सुगंधित कर देती है। प्रकृति भी उस समय रंगों से वंचित नहीं रह पाती है। प्रकृति के हरे भरे वृक्ष तथा रंग-बिरंगे फूल होली के महत्व को और अधिक बढ़ा देते हैं। लोगों का मन आनंद से भर जाता है।


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      डॉ.अजीत भारती

By hindi Bharti

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