भारतेंदु युगीन कविता की विशेषताएँ

भारतेंदु युगीन कविता की विशेषताएँ? इस युग को  आधुनिक हिंदी-साहित्य का प्रवेश-द्वार माना जाता है। इसे पुनर्जागरण काल भी कहते हैं। हिंदी साहित्य की लगभग सभी विधाओं का विकास इस युग दिखाई देता है। इस युग में ब्रज भाषा के साथ खड़ीबोली का प्रचलन शुरू हो गया था।

1- देशभक्ति की भावना- इस युग के कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से देशप्रेम के बीज रोपे थे।

2- अंग्रेजी शिक्षा का विरोध- इस समय के  कवियों ने अंग्रेजी भाषा तथा अंग्रेजी शिक्षा के प्रचार प्रसार के प्रति अपना विरोध कविताओं में प्रकट किया है।

3- सामाजिक चेतना का विकास- भारतेंदु युगीन कविता सामाजिक चेतना की कविता है। इस युग में स्त्री शिक्षा, विधवाओं की दुर्दशा तथा छुआछूत को सोच दूर करने हेतु समाज को जगाने का प्रयास  किया गया, कवियों ने समाज में व्याप्त बुराईयों को दूर करने के लिए कविताएँ लिखी हैं

3- अनुवाद की परंपरा- इस युग में मौलिक काव्य लेखन के साथ-साथ संस्कृत तथा अंग्रेजी का हिंदी में  अनुवाद किया है। जैसे- श्रीधर पाठक का  ‘गोल्स्मिथ’ आदि प्रमुख रचनाएँ है।


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4- हास्य-व्यंग्य का चित्रण- भारतेंदु युगीन कविताओं में हास्य-व्यंग्य पूर्ण रचनाओं का विशेष रूप मिलता है। हास्य-व्यंग्य शैली के माध्यम से पश्चिमी सभ्यता, विदेशी शासन, सामाजिक अंधविश्वासों पर करारे व्यंग्य किए गए हैं।

5- समस्या पूर्ति- इस युग  कवियों ने समस्या पूर्ति की अनोखी कविता विकसित की है। इसमें कवियों की प्रतिभा की परीक्षा लेने के लिए कठिन विषय उन्हें दिए जाते थे। कवि गोष्ठियों में इसका विशेष प्रचलन था।

6- विभिन्न काव्य- रूपों का प्रयोग- इस युग की  कविताओं में काव्य के विविध रूपों का प्रयोग मिलता है। कहीं पर मुक्तक काव्य तो कहीं प्रबंध काव्य शैली तो कहीं गीति काव्य शैली का रूप मिलता है।

7- अलंकारों का प्रयोग- इस काल की  कविता में अनुप्रास, यमक, श्लेष, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा अलंकार का सहज प्रयोग हुआ है।


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8-छंदों का प्रयोग- इस युग की कविताओं में कवियों ने दोहा, सोरठा, चौपाई, रोला, सवैया, कवित्त, आदि छंदों का प्रयोग किया है।

9- मुहावरे व लोकोक्तियों का प्रयोग- भारतेंदु युग के कवियों ने अपनी रचनाओं में मुहावरे व लोकोक्तियों का प्रयोग खूब किया है।


भारतेंदु युगीन कविता के प्रमुख कवि और उसकी रचनाएँ 

प्रमुख कवि            रचनाएँ

1-भारतेंदु हरिश्चंद्र-     भारत दुर्दुशा, भारत जननी।

2-प्रताप नारायण मिश्र- महापर्व, होली है।

3-बद्री नारायण चौधरी ‘प्रेमघन’- आनंद अरुणोदय।

4-अम्बिका दत्त व्यास-  भारत धर्म।


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धन्यवाद!

डॉ. अजीत भारती

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