kabir ki sakhiyan summary

kabir ki sakhiyan summary? cbse class 10 hindi -b पाठ कबीर की साखियाँ में कुल आठ पद हैं । सभी पदों का सार  ।

CBSE Board/NCERT/Class-10/Hindi-B/Sparsh-2

पाठ-कबीर की साखियाँ  

(पाठ का सार Summary)

पद संख्या-1

ऐसी बांणी……………………………सुख होइ।

कबीरदास जी कहते हैं कि हमें अपने मन का घमंड त्यागकर सभी से मीठे बोल बोलना चाहिए। मीठा बोलने हमारे मन को शांति मिलती है और दूसरों को भी अच्छा लगता है।


पद संख्या-2

कस्तूरी कुण्डलि……………………..देखै नॉंहिं

दूसरे पद में कवि कहते हैं कि कस्तूरी हिरन के नाभि में सुगंधित पदार्थ होता है परन्तु वह उस खुशबू को इधर-उधर खोजता है। कबीर दास जी कहते हैं कि ठीक उसी प्रकार राम सभी के अन्दर हैं फिर भी हम उन्हें इधर-उधर खोजते हैं।


कबीर की सखियाँ-


पद संख्या-3

जब मैं……………………………..देख्या माहिं

तीसरे पद में कवि कहते हैं कि जब मेरे अन्दर घमंड था तब ईश्वर नहीं मिले थे। अब ईश्वर मिल गए तो घमंड नहीं रहा। आगे कवि कहते हैं कि मेरे मन का सारा अंधकार मिट गया जब ईश्वर अथवा सत्य का ज्ञान हुआ।


 

पद संख्या-4

सुखिया सब………………………….अरू रोवै

चौथे पद में कबीरदास जी कहते हैं कि संसार के सभी लोग खाते-पीते और सोते हैं। वे इसीलिए सुखी भी हैं। लेकिन कबीरदास जी प्रभु के लिए दिनरात जागते रहते हैं इसीलिए वे दुखी हैं।


पद संख्या-5

बिरह भुवंगम……………………….बौरा होइ

पाँचवे पद में कबीरदास जी कहते हैं कि ईश्वर से न मिल पाने के कारण शरीर का वियोग रूपी साँप परेशान कर रहा है। उस पर कोई भी मन्त्र काम नहीं कर रहा है। जो राम के लिए परेशान है वह जीवित नहीं रह सकता है अगर वह जीवित रहेगा तो पागल हो जायेगा।


 

पद संख्या-6

निंदक नेड़ा………………………….करै सुभाई

छठवें पद में कबीरदास जी कहते हैं कि सभी को अपने पास एक निंदा करने वाला व्यक्ति रखना चाहिए। जो हमारी कमियों बता सके। आगे वे कहते हैं कि हो सके तो पास में ही उसका एक घर बनवा देना चाहिए। क्योंकि निंदा करने वाला बिना साबुन और पानी के तुम्हारे स्वभाव को अच्छा बना देगा।


 

पद संख्या-7

पोथी पढ़ि………………………..पंडित होइ।

सातवें पद में कबीरदास जी कहते हैं कि संसार में रहने वाले लोग धार्मिक पुस्तकें पढ़कर थक गए लेकिन ज्ञानी अथवा जानकर कोई नहीं बन पाया। अगर मनुष्य एक अक्षर ईश्वर का पढ़ लेता है तो वह सच में ज्ञानी हो जाता।

  


पद संख्या-8

हम घर…………………………..हमारे साथि

   आठवें पद में कबीरदास जी कहते हैं कि मैंने भक्ति रूपी जलती हुई मशाल लेकर अपने अन्दर की सभी बुराइयों को जला दिया है। अब जिसको भी अपनी बुराइयां नष्ट करनी हैं, तो वह मेरा मार्ग अपना सकता है।

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डॉ.अजीत भारती (www.hindibharti.in)

By hindi Bharti

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