मीरा के पद का सार

मीरा के पद का सार ? 
मीरा के पद का सार

CBSE Board/NCERT/Class-10/Hindi-B/Sparsh-2

पाठ-मीरा के पद  

(पाठ का सार Summary)

1-पद

हरि आप…………………………..म्हारी भीर।

मीराबाई अपने इष्टदेव कृष्ण से कहती हैं-हे ईश्वर! आप अपनी इस दासी के कष्टों को दूर करो। आपने द्रोपदी की लाज चीर बढ़ाकर बचाई थी। अपने प्रिय भक्त प्रहलाद को बचाने के लिए आपने नरसिंह भगवान का रूप धारण किया था। डूबते हुए हाथी को मगरमच्छ के मुँह से बचाकर उसके प्राणों की रक्षा की थी। दासी मीरा कहती है ठीक वैसे से ही मेरी पीड़ा को दूर करो। अर्थात् मुझे इस सांसारिक बंधनों मुक्त कर दो।


2-पद

स्याम म्हाने…………………….बाताँ सरसी।

मीरा अपने इष्ट कृष्ण से प्रार्थना करती है कि हे श्याम! तुम मुझे अपनी दासी बना लो। हे गिरिधारी लाल! तुम मुझे अपनी सेवा करने वाली के रूप में रख लो। मैं सेविका के रूप में आपके बाग़-बगीचे लगाऊँगी, जिसमें आप घूमने जा सको। इसी बहाने रोज सुबह आपके दर्शन कर लूँगी। मैं वृन्दावन के बाग़-बगीचों और गलियों में आपके ही गीत गाऊँगी। तुम्हारी सेवा करते हुए दर्शन भी हो जाएँगे। तुम्हारे नाम  स्मरण के रूप में मुझे जेब खर्च भी मिल जाएगा। इस प्रकार मुझे आपके दर्शन, स्मरण एवं भक्ति रूपी तीन जागीर आसानी से मिल जाएँगी, जिससे मेरा जीवन सफल हो जाएगा।
 

मोर मुकुट……………………….घणों अधीराँ।

मीराबाई, श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य के बारे में कहती है कि आपके माथे पर मोरपंखों से बना मुकुट सुन्दर दिखाई दे रहा है। शरीर के पीले वस्त्र और गले में पड़ी वन के फूलों की माला बहुत सुन्दर लग रही है। मुरली बजाने वाला मोहन वृन्दावन में गायें चराता है। मेरे प्रभु का वृन्दावन में ऊँचा महल बना है। मैं महल के बीच में सुन्दर फूलों से सजी फुलवारी बनवाऊँगी। उसके बाद मैं लाल रंग की साड़ी पहनकर अपने साँवले के दर्शन करुँगी।
  मीरा अपने प्रभु से प्रार्थना करती है कि हे भगवन! आप आधी रात को यमुना नदी के किनारे अपने दर्शन देने के लिए अवश्य आना, क्योंकि मेरा मन तुमसे मिलने के लिए बहुत बेचैन है।   


समाप्त!

मीरा के पद mcq 
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डॉ.अजीत भारती (www.hindibharti.in)

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