अलंकार-परिभाषा और उदाहरण  अलंकार-परिभाषा, उदाहरण 

अलंकार-परिभाषा और उदाहरण  ? ये काव्य के अंग होते हैं | इनसे कविता की सुंदरता बढ़ जाती है | जिससे पाठक को पढ़ते या सुनते समय


प्रश्न-1. अलंकार किसे कहते हैं ?

जिस प्रकार किसी स्त्री की शोभा आभूषणों से बढ़ जाती है, उसी प्रकार अलंकारों से काव्य की सुन्दरता बढ़ जाती है |स्पष्ट है कि अलंकारों से काव्य की शोभा उत्पन्न नहीं होती, केवल बढ़ती है |

उदाहरण :-

“चारू चन्द्र की चंचल किरणें;

खेल रहीं हैं जल – थल में |”

स्पष्टीकरण:- कवि यहाँ पर चारू के स्थान पर चतुर, चन्द्र के स्थान पर चाँद या चंद्रमा, चंचल के स्थान पर हलचल लिख सकताथालेकिन उसने ऐसा नहीं किया, कवि ने कविता को सुन्दर – सुन्दर शब्दों से सजाया है | कवि का शब्दों के द्वारा सजाना ही अलंकार कहलाता है|

अलंकार की परिभाषा :- काव्य की शोभा बढाने वाले कारक, गुण, धर्म या तत्व को अलंकार कहते हैं|         

अथवा

काव्य की शोभा बढाने वाले तत्व अलंकार कहे जाते  हैं| 


   

अलंकार का शाब्दिक अर्थ है-                    

1-सजावट,

2-श्रृंगार ,

3-आभूषण,

4-गहना आदि |


 अलंकार दो शब्दों से मिलकर बना है–

अलम् + कार= अलंकार

‘अलम्’ का अर्थ –भूषित

‘कार’ का अर्थ – करने वाला


 अन्य अलंकार की परिभाषा-

‘अलंकरोति इति अलंकार:’ अर्थात् जो अलंकृत (सुशोभित) करे, उसे अलंकार कहते हैं |

अथवा

दंडी के अनुसार:– “काव्य शोभा करान् धर्मान् अलंकरान् प्रचक्षते”

अर्थात्    काव्य के शोभा कारक धर्म अलंकार कहलाते हैं |


प्रश्न-2.अलंकार के कितने  भेद या प्रकार है ?

उत्तर- दो भेद या प्रकार हैं –

1-शब्दालंकार

2-अर्थालंकार

 

1-शब्दालंकार:- जो शब्द पर आधारित होते हैं, उन्हें शब्दालंकार कहते हैं |

जैसे- अनुप्रास, यमक, श्लेष, पुनरुक्ति,वक्रोक्ति|

 2-अर्थालंकार:- जहाँ केवल शब्द में(शब्द के अर्थ में ) अलंकार होता है |

जैसे- उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, प्रतीप, व्यतिरेक, अतिशयोक्ति, अन्योक्ति, विभावना, भ्रांतिमान आदि हैं |


अनुप्रास-अलंकार-परिभाषा और उदाहरण


प्रश्न-3.अनुप्रास अलंकार की परिभाषा और उदाहरण लिखिए |

“रघुपति राघव राजा  राम पति के पावन सीता राम |”

यहाँ पर र, त  वर्ण की आवृत्ति कई बार हुई है इस लिए  पंक्ति में अनुप्रास अलंकार होगा |

परिभाषा :- जहाँ पर किसी वर्ण की आवृत्ति अनेक बार होती है , वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है |

अनुप्रास अलंकार के अन्य उदाहरण-

1-चारू चन्द्र की चंचल किरणें खेल रही हैं जल थल में |

2-रघुपति राघव रजा राम पति के पावन सीता राम|

3-तरनि – तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए |

4-बाल बिलोकि बहुत मैं बाँचा |

5-मुदित महीपति मंदिर आए |

6-घेर घेर घोर गगन, धराधर ओ |

7-कोकिल कीर कपोतनि के कुल केलि करैं |

8-बहता कहता कुलकुल कुलकुल कलकल |

9-मधुर मृदु मंजुल मुख – मुसक्यान |

10-कायर क्रूर कपूत कुचाली यों ही मर जाते हैं |

11- कानन कठिन भयंकर भारी, घोर घाम वारि बयारी |

12-कल कानन कुंडल मोरपखा उर पै बनमाल बिराजति है

13-निपट निरंकसु निठुर निसंकू , जेहि ससि कीन्ह सरुज सकलंकु |

14-जो खग हौं तो बसैरौ करौ मिलि –

   कालिंदी कूल कदंब की डारनि |            


    यमक  अलंकार-परिभाषा और उदाहरण  


  

प्रश्न-4.यमक अलंकार परिभाषा और उदाहरण लिखिए |

   उदहारण-1.“सजना है मुझे सजना के लिए |”      

यहाँ पर सजना शब्द दो बार आया है और उसके  अर्थ अलग – अलग हैं |

1-पहले सजना  शब्दका अर्थ है –शृंगार करना

2-दूसरे सजना शब्द का अर्थ है –नायक(पति)

परिभाषा :- जहाँ पर कोई शब्द एक से अधिक  बार आये और उसके अर्थ भिन्न-भिन्न हों, वहाँ यमक अलंकार होता है |

 

उदाहरण-2 .काली घटा का घमंड घटा |              

स्पष्टीकरण:- यहाँ घटा शब्द दो बार आया है और दोनों के अर्थ अलग – अलग हैं |

1- पहले घटा शब्द  का अर्थ है – काले बादल

2- दूसरे घटा शब्द  का अर्थ है– कम होना

 

उदाहरण-3.“कनक – कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय     

               वा  खाय बौराय जग  या पाए बौराय ”                 

स्पष्टीकरण:- यहाँ पर कनकशब्द दो बार आया है और उसके  अर्थ अलग – अलग हैं |

1- पहले कनक  शब्द का अर्थ है –धतूरा

2- दूसरे कनक शब्द का अर्थ है –सोना

 

उदाहरण-4. कहै कवि बेनी – बेनी ब्याल की चुराई लीनी |

स्पष्टीकरण:- यहाँ पर बेनी शब्द दो बार आया है और उसके  अर्थ अलग – अलग हैं |

1-पहले बेनी शब्द  का अर्थ है –कवि बेनी प्रसाद

2-दूसरे बेनी शब्द  का अर्थ है –चोटी

 

उदाहरण-5. पास ही रे ! हीरे की खान ।

उसे खोजता कहाँ नादान?

स्पष्टीकरण:-यहाँ पर हीरे शब्द दो बार आया है और उसके  अर्थ अलग – अलग हैं |

1-ही रे- नजदीक 

2-हीरे- हीरा धातु (वस्तु)

 

उदाहरण-6. जेते तुम तारे तेते नभ में न तारे हैं ।

स्पष्टीकरण- यहाँ पर तारे  शब्द दो बार आया है और उसके  अर्थ अलग – अलग हैं |

1-तारे- प्यारा 

2-तारा- तारा 

 

उदाहरण-7. माला फेरत जुग भया, गया न मन का ।

कर का मन का डारि दे, मन का मनका फेर ।।

स्पष्टीकरण-यहाँ पर मनका  शब्द दो बार आया है और उसके  अर्थ अलग – अलग हैं |

1-पहले मनका शब्द का अर्थ है- माला के मोती से 

2-दूसरे मनका शब्द का अर्थ है- मन की भानाओं से 

उदाहरण- 8. तीन बेर खाती थी वे तीन बेर खाती है ।

स्पष्टीकरण-यहाँ पर तीन बेर  शब्द दो बार आया है और उसके  अर्थ अलग – अलग हैं |

1-पहले बेर  शब्द का अर्थ है-  तीर बार 

2-दूसरे बेर  शब्द का अर्थ है- बेर के तीन फल 

 

उदाहरण-9. जगती जगती की मूक प्यास 

स्पष्टीकरण-यहाँ पर जगती शब्द दो बार आया है और उसके  अर्थ अलग – अलग हैं |

1-पहले  जगती  शब्द का अर्थ है-  जागती (जागना)

2-दूसरे  जगती शब्द का अर्थ है- जगत या संसार 

 

उदाहरण-10. सारंग ले सारंग उड़ा, सारंग तड़पा जाये।

सारंग ने कही बोल दिया तो सारंग छूटा जाये ।।

स्पष्टीकरण-यहाँ पर सारंग  शब्द पाँच  बार आया है लेकिन  तीन के अर्थ अलग – अलग हैं |

1-पहले   शब्द का अर्थ है-  मोर 

2-दूसरे  शब्द का अर्थ है- साँप 

3-तीसरे शब्द का अर्थ है- बिजली

 

उदाहरण-11. सारंग लै सारंग चली , करि सारंग की ओट ।

सारंग झीना जानि के, मरी सारंग चोट ।

स्पष्टीकरण-यहाँ पर सारंग  शब्द पाँच  बार आया है लेकिन  चार के अर्थ अलग – अलग हैं |

1-पहले शब्द का अर्थ है- दीपक 

2-दूसरे शब्द का अर्थ है- स्त्री 

3-तीसरे शब्द का अर्थ है- आँचल 

4-चौथे शब्द का अर्थ है- हवा 

 

उदाहरण-12. हरि बोला हरि ने सुना, हरि गयो हरि के पास 

हरि देखा हरि में गया, हरि रह गयो उदास 

स्पष्टीकरण-यहाँ पर  शब्द सात  बार आया है लेकिन  तीन के  अर्थ अलग – अलग हैं |

1-पहले शब्द का अर्थ है- मेढ़क 

2-दूसरे शब्द का अर्थ है-  साँप 

3-तीसरे शब्द का अर्थ है-  पानी 

 


श्लेष -अलंकार-परिभाषा और उदाहरण


प्रश्न-5.श्लेष अलंकार परिभाषा और उदाहरण लिखिए |

श्लेष का शाब्दिक अर्थ होता है – चिपकना|

उदाहरण:-1. मंगत को देख पट देत बार – बार|  

स्पष्टीकरण- यहाँ पर पट शब्द एक बार आया है और उसके अर्थ एक से अधिक हैं | यहाँपट के दो अर्थ हैं-1-दरवाजा2-वस्त्र(कपड़े)

परिभाषा:- जहाँ पर कोई शब्द एक बार आए और उसके अर्थ     अलग – अलगहों, वहाँ श्लेष अलंकार होता है |                     

उदाहरण:-2. रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून|

           पानीगए न ऊबरे, मोती मानुष चुन |

स्पष्टीकरण:- इस उदहारण में पानी शब्द का प्रयोग तीन बार किया गया है किन्तु दूसरी पंक्ति में पानी शब्द के तीन अर्थ हैं–‘चमक’,‘प्रतिष्ठा’और‘जल’अर्थात् मोती के सन्दर्भ में पानी का अर्थ चमक, कान्ति मनुष्य के सन्दर्भ में पानी का अर्थ इज्जत (सम्मान) चूने के सन्दर्भ में पानी का अर्थजल है |

 

उदाहरण-3.मधुवन की छाती को देखो, सूखी कितनी इसकी कलियाँ ।

स्पष्टीकरण- इस उदाहरण में कलियाँ शब्द के दो अर्थ हैं-

1. फूल खिलने से पहले की दशा 

2.यौवन से पूर्व की दशा 

उदाहरण-4. मेरी भाव – बाधा हरो राधा नागिर सोइ ।

जा तन की झाँईं परै, स्यामु हरित दुति होय ।।

स्पष्टीकरण– इस उदाहरण में स्याम शब्द के तीन  अर्थ हैं-

1.श्रीकृष्ण 

2.कला या गहरा नीला 

3.दुःख या पीड़ा 

 

उदाहरण-5. बड़े न हूजे गुनन बिनु, बिरद बड़ाई पाई

कहत धतूरे सौं कनक, गहनौ गढ्यो न जाइ  ।।

स्पष्टीकरण– इस उदाहरण में  कनक शब्द के  दो अर्थ हैं-

1.सोना 

2.धतूरा 


प्रश्न-6.उपमा अलंकार परिभाषा और उदाहरण लिखिए |

उपमा = उप+मा से मिलकर बना है-

उप का अर्थ है- समीप से

मा का अर्थ है- तौलना या देखना 

 


उदहारण- हरिपद कोमल कमल से |

स्पष्टीकरण- यहाँ पर हरिपद (उपमेय) की तुलना कमल (उपमान)से कोमलता के कारण की गई है | इसलिए उपमा अलंकार होगा |

परिभाषा- जहाँ गुण, धर्म या क्रिया के आधार पर उपमेय की तुलना उपमान से की जाती है, वहाँ उपमा अलंकार होता है |

उपमा का अर्थ है – समानता|

 


उपमा अलंकार के चार अंग हैं-

1-उपमेय:- जिसकी तुलना की जा रही हो, उसे उपमेय कहते हैं |

जैसे- राधा का मुख |

2-उपमान:- जिस  लोक प्रसिद्ध – वस्तु से तुलना की जाये, उसे उपमान कहते हैं |

जैसे – चंद्रमा|

3-साधारणधर्म:- तुलना का आधार अथवा उपमेय और उपमान में गुण (जैसे-रंग, रूप आदि ) की समानता को साधारण धर्म कहते हैं|

जैसे- सुन्दरता|

4-वाचक शब्द:- उपमेय और उपमान में सम्बन्ध स्थापित करने वाले शब्द को वाचक शब्द कहते हैं |

जैसे- समान, सा, सी, सम, सरिस, तुल्य, भांति, प्रकार, जैसी, ज्यों, के सामान आदि शब्द हैं |

उदाहरण:- “हाय फूल–सी कोमल बच्ची|

हुई राख की थी ढेरी |”

स्पष्टीकरण:- यहाँ ‘फूल’ (उपमान), की तुलना ‘बच्ची’ (उपमेय), से की गई है |


उपमा अलंकार के अन्य  उदाहरण-

उदाहरण-1.पीपर पात सरिस मन डोला ।

(पीपर के पत्ते के समान मन डोल उठा)

उपमेय-मन 

उपमान-पीपर पात 

वाचक शब्द-सरिस (सामान)

साधारण धर्म-डोला 

 

उदाहरण-2. सीता का मुख चन्द्रमा के समान सुंदर है ।

उपमेय- सीता

उपमान- चंद्रमा 

वाचक शब्द- समान 

साधारण धर्म- सुंदर 

 

उदाहरण-3.


 

उपमा अलंकार के प्रकार 

1- पूर्णोपमा:- जिस उपमा में चारो अंग होते हैं, उसे पूर्णोपमा कहते हैं । 

जैसे- 1. वह दीप शिखा – सी शांत भाव में लीन ।

2. वह टूटे तरु की छूटी लता सी दीन ।

3. जय लक्ष्मी सी उदित हुई ।

 

2-लुप्तोपमा:- जिस उपमा अलंकार में चारो अंगों में से कोई एक अंग लुप्त हो, वहाँ लुप्तोपमा अलंकार होता है ।

जैसे-1. पड़ी थी बिजली – सी विकराल । (उपमेय लुप्त)

2.कमल – कोमल कर से सप्रीत । (वाचक शब्द लुप्त)

3-यह देखिए, अरबिंद से शिशुवृंद कैसे सो रहे । (समान धर्म लुप्त)

4.सीता का मुख चंद्रमा के समान है । 

(सीता-उपमेय, उपमान-चंद्रमा, के समान- वाचक शब्द )

 


रूपक-अलंकार-परिभाषा और उदाहरण


प्रश्न-7. रूपक अलंकार परिभाषा और उदाहरण लिखिए |

उदाहरण1- मैया मैं तो चन्द्र खिलौना लैहौं |

                     (उपमेय) (उपमान)

स्पष्टीकरण- यहाँ पर चन्द्र (उपमेय) है | खिलौना (उपमान) का आरोप है | इसलिए रूपक अलंकार होगा |

परिभाषा:- जहाँ पर उपमेय में उपमान का आरोप होता है, वहाँ रूपक अलंकार होता है | लेकिन यह आरोप कल्पित होता है|  

                                       

उपमेय-जिसकी तुलना की जा रही हो |                        

उपमान-जिस लोक प्रसिद्ध वस्तु से तुलना की जाए

                      

उदाहरण-2. चरण कमल बन्दौं हरि राई |

स्पष्टीकरण- यहाँचरण(उपमेय)परकमल(उपमान)का आरोप कर दिया गया है | इसलिए रूपक अलंकार होगा |

 

उदाहरण-3. पायो जी मैंने राम – रतन धन पायो |

स्पष्टीकरण- यहाँ पर (उपमेय) पर रतन (उपमान) का आरोप कर दिया गया है |

 

उदाहरण–4. बीती विभावरी जाग री

                अम्बर पनघट में डुबो रही

                तारा–घट उषा– नागरी |

स्पष्टीकरण– यहाँ पर आकाश (उपमेय) रूपी पनघट (उपमान) में ऊषा (उपमेय) रूपी स्त्री तारा (उपमान) रूपी घड़े डुबो रही है | यहाँ आकाश पर पनघट का, उषा पर स्त्री का और तारा पर घड़े का आरोप होने पर रूपक अलंकार होता है |

 

उदाहरण-5. जलता है यह जीवन – पतंग । 

(उपमेय-जीवन, उपमा-पतंगा)

 

उदाहरण-6. मैया मैं तो चंद्रमा खिलौना लैहौं ।

(उपमेय-चन्द्र, उपमान-खिलौना)

 

उदाहरण-7. चरण – कमल बन्दौं हरि राई ।

(उपमेय-चरण, उपमान-कमल)

 

उदाहरण-8. आए महंत वसंत ।

(उपमेय-महंत, उपमान-वसंत)


प्रश्न-8. उत्प्रेक्षा अलंकार परिभाषा और उदाहरण लिखिए |

उदाहरण:- “सीता का मुख मानो चंद्रमा है |”

स्पष्टीकरण:- यहाँ पर सीता का  मुख (उपमेय) को चंद्रमा

(उपमान) मान लिया गया है | अत: उत्प्रेक्षा अलंकार है |

परिभाषा- जहाँ पर उपमेय में उपमान की संभावना प्रकट की जाए, वहाँ पर उत्प्रेक्षा अलंकार होता है |    

 

पहचान:- इस अलंकार की पहचान मनु, मानो,मनो, मनहुँ, जनु, जानोआदि वाचक शब्दों से होती है |

परन्तु इन वाचकों का होना आवश्यक नहीं है |

 

उदाहरण:-1. कहती हुई यों उत्तरा के, नेत्र जल से भर गए

            हिम के कणों से पूर्ण मानों, हो गए पंकज नए |

स्पष्टीकरण:- यहाँ पर उत्तरा के अश्रु – पूरित नेत्र उपमेय है, जिनमें कमल की पंखुड़ियों पर पड़े हुए ओस – कणों की (उपमा की) कल्पना की गई है |

 

उदाहरण-2. हरि मुख मानो मधुर मयंक ।

(उपमेय-मुख, उपमान-मयंक)

 

उदाहरण-3. अति कटु वचन कहत कैकेयी,

मानहुं लोन जरे पर देई ।

 

उदाहरण-4. सोहत ओढ़े पीतु पटु, स्याम सलौने गात ।

मनौ नीलमणि सैल पर, आतपु परयो प्रभात ।। 

 

उदाहरण-5.मोर मुकुट की चंद्रिकानु, यौं राजत नंदनंदन ।

बाहर लसत मानो पिए दावानल की ज्वाल ।।

 


प्रश्न-9.मानवीकरण अलंकार परिभाषा और उदाहरण लिखिए|

उदाहरण:-

“फूल हँसे कलियाँ मुस्काईं |”

स्पष्टीकरण:- मनुष्य हँसते और मुस्कुराते हैं, फूल और कलियाँ नहीं | लेकिन यहाँ पर फूलों को हँसते तथा मुस्कुराते दिखया गया है | अर्थात् यहाँ मानवीय चेष्टाओं को आरोपित किया गया है |

परिभाषा:- जहाँ जड़ वस्तुओं या प्रकृति पर मानवीय चेष्टाओं का आरोप किया जाता है, वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है |

 


प्रश्न- 10.अतिशयोक्त अलंकार परिभाषा और उदाहरण लिखिए

उदाहरण- “लहरें व्योम चूमती उठतीं |”

स्पष्टीकरण- यहाँ पर लहरों को व्योम (आकाश) चूमता(स्पर्श) हुआ दिखाया गया है | यहाँ बात बढ़ा – चढ़ा कर कही गई है|

परिभाषा:- अतिशयोक्ति का अर्थ है – किसी बात को बढ़ा – चढ़ाकर कहना | जब काव्य में कोई बात बढ़ा – चढ़ाकर कही जाती है तो वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है|   

उदाहरण-1.“पड़ी अचानक नदी अपार, घोड़ा कैसे उतरे पार |

            राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार |”

स्पष्टीकरण:- राणा अभी सोच ही रहे थे की घोड़ा नदी के उस पार पहुँच गया | यह वास्तव में संभव नहीं है | यहाँ पर बढ़ा – चढ़ाकरकहा गया है |

उदाहरण-2. “हनुमान की पूँछ में, लगन ना पाई आग |

           लंका सिगरी जल गई, गए निसाचर भाग |”

स्पष्टीकरण:- हनुमान की पूँछ में आग लगने से पहले ही सारी लंका के जलने की बात अधिक बढ़ा – चढ़ाकर कही गई है |

उदाहरण-3. कढ़त साथ ही म्यान तें, असि रिपु तन ते प्राण|

स्पष्टीकरण:- यहाँ म्यान से तलवार का बहार निकलना (कारण)और शत्रु के शरीर से प्राण का निकलना (कार्य) एक साथ वर्णित किया गया है |

 


अन्योक्ति -अलंकार-परिभाषा और उदाहरण


प्रश्न-11.अन्योक्ति अलंकार परिभाषा और उदाहरण लिखिए|

उदाहरण:-

“माली – आवत देखकर कलियन करि पुकारि|

फूले – फूले चुन लिए – कालि हमारी बारि |”

स्पष्टीकरण:- इस उदाहरण में माली(काल का प्रतीक) जो फूलों को(वृद्धों)को तोड़कर ले जाता है| कल कलियों (तरुणों) केफूलरूप प्राप्त होने पर माली द्वारा चुनने की बरी आयेगी |

परिभाषा:- अन्योक्ति – अन्य+ उक्ति= अर्थात् अन्य उक्ति से कोई दूसरी बात कही जाए |

“जहाँ किसी बात को सीधे या प्रत्यक्ष न कहकर अप्रत्यक्ष रूप से कहते हैं, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है | “

 


प्रश्न- 12.व्याजनिंदा अलंकार परिभाषा और उदाहरण लिखिए|

परिभाषा:- काव्य में जहाँ पर भी स्तुति के बहाने निंदा की जाए, वहाँ व्याजनिंदा अलंकार होता है |

अथवा

जिस वर्णन में देखने में स्तुति प्रतीत हो, पर वास्तव में उसमें विपरीत निंदा का तात्पर्य हो, उसे व्याज निंदा अलंकार कहते हैं |

उदाहरण -1. नाककान बिनु भगिनि तिहारी,

                छमा कीन्ह तुम धर्म विचारी |

लाजवंत तुम सहज सुभाऊ,

निजगुन निज मुख कहसि न काऊ ||

स्पष्टीकरण:- हनुमान जी के इस कथन से स्तुति – सी प्रतीत होती है, पर यथार्थ में इसमें कायर और निर्लज्ज होने का तात्पर्य निकलता है, जिसमें निंदा है |

 

उदाहरण-2. सेमर तू बड़भाग है, कहा सराहयो जाय |

           पक्षी करि फलआस तोहि, निसिदिन सेवत आए ||

स्पष्टीकरण :- यहाँ पर सेमर को भाग्यवान बताया गया है क्योंकि पक्षी बड़ी आशा से उसके पास आते हैं  और उसके फलों का सेवन करते हैं | जबकि वास्तव में यह सही नहीं है |

 


प्रश्न-13. व्याजस्तुति अलंकार परिभाषा और उदाहरण लिखिए|

परिभाषा:- जिस वर्णन में देखने में तो निंदा सी प्रतीत होती है, पर वास्तव में उसके विपरीत स्तुति का तात्पर्य हो उसे व्याजस्तुति अलंकार कहते हैं | व्याज अर्थात्  बहाने, स्तुति, यानी प्रशंसा |

अथवा

काव्य में जहाँ पर भी निंदा के बहाने स्तुति की जाए, वहाँ व्याजस्तुति अलंकार होता है |

उदाहरण-1. जमुना तुम अविवेकनीय,

कौन लियौ यह ढंग |

पापिन सौ निज बन्धु कौ,

मानकरावती भंग |

स्पष्टीकरण:- इस उदहारण में शब्दों के अर्थों से तो यमुना जी की निदा प्रतीत हो रही है, जो पापियों से अपने भाई यमराज का मान भंग करती है, पर वास्तव में पुण्य सलिला यमुना की महिमा का वर्णन है, जिसमें स्नान करने से पापियों के पापों का हरण हो जाता है और वे यमलोक या नरक में नहीं जाते |

 

उदाहरण-2. निसदिन पूजा करत रहत,

                     श्याम बुडि. तब रंग |

                     जनम – जनम की देह को,

                     छीनत है इस संग ||

स्पष्टीकरण:- यहाँ श्रीकृष्ण के रंग में डूब जाने पर कई जन्मों के बाद जो यह शरीर प्राप्त होता है, उसे एक साथ ही छीन लेते हैं |


धन्यवाद!

डॉ. अजीत भारती  

अलंकार-परिभाषा और उदाहरण

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